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Saturday, September 21, 2024

तरनतारन सेवा केंद्र में फर्जी हथियार लाइसेंस रैकेट का भंडाफोड़, डीजीपी का खुलासा- सब में बंटता था कमीशन; 8 गिरफ्तार

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अमृतसर पुलिस ने फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने वाले गिरोह के दो सदस्यों और छह फर्जी हथियार लाइसेंस धारकों को गिरफ्तार कर इस रैकेट का भंडाफोड़ करने में सफलता हासिल की है। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि यह रैकेट तरनतारन सेवा केंद्र के जिला मैनजर सूरज भंडारी की मिलीभगत से चलाया जा रहा था। वह इस कांड का सरगना बताया जा रहा है। गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों में तरनतारन सेवा केंद्र का कर्मचारी हरपाल सिंह और एक फोटोस्टेट दुकान का मालिक बलजीत सिंह है। इन लोगों ने फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने के लिए आधार कार्ड और हथियार लाइसेंस प्रोफार्मा सहित आवश्यक पहचान दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने की बात स्वीकार की है। पुलिस टीमों ने लैपटॉप भी बरामद किया है, जिसमें अलग-अलग संपादित दस्तावेजों के विवरण व दस्तावेजों में हेरफेर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ऑनलाइन ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर भी शामिल हैं।

इस रैकेट की जानकारी अन्नगढ़ के बबलू उर्फ बल्लू से पूछताछ के दौरान हासिल हुई। उसने बताया कि वह कंवरदीप सिंह के साथ नकली लाइसेंसी आग्नेयास्त्र रखे हुए है। मामले में डीजीपी ने बताया कि आरोपी बल्लू के खुलासे के बाद एडीसीपी जोन-1 डॉ.  दर्पण आहलूवालिया और एसीपी सेंट्रल सुरिंदर सिंह की देखरेख में थाना गेट हकीमा से टीमों ने जांच शुरू की और पाया कि हथियार लाइसेंस डिप्टी कमिश्नर कार्यालय तरनतारन से का सत्यापन किया गया था, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड में इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। 

उन्होंने कहा कि तरनतारन के लोगों के अलावा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अमृतसर के निवासी भी फर्जी आधार कार्ड के आधार पर तरनतारन से फर्जी लाइसेंस बना रहे थे। डीजीपी गौरव यादव ने गन हाउसों की मिलीभगत से इनकार न करते हुए कहा कि पुलिस टीमें ऐसे गन हाउसों की भूमिका की जांच कर रही हैं, जिन्होंने फर्जी लाइसेंस होने की जानकारी होने के बावजूद ऑनलाइन सत्यापन के बिना हथियार बेचे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आगे की जांच जारी है।

लाइसेंस बनाने के लिए लेते थे 1.5 लाख रुपए फीस

पुलिस कमिश्नर (सीपी) अमृतसर रणजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि 11 जून, 2024 को एक एफआईआर दर्ज की गई थी और पांच और फर्जी हथियार लाइसेंसधारियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार लोगों में सुल्तानविंड के अभय को फर्जी तौर पर जंडियाला रोड, तरनतारन का निवासी दिखाया गया है। इसी तरह अमृतसर के मनप्रीत को तरनतारन का निवासी दिखाया गया। अमृतसर के कंवरदीप को रेलवे रोड, तरनतारन का निवासी दिखाया गया और अमृतसर के रोहित को तरनतारन के गांव कंग का निवासी दिखाया गया।  इन्हें 12 जून को गिरफ्तार किया गया था, जबकि सदर तरनतारन के रहने वाले हरिंदर को 2 जुलाई 2024 को गिरफ्तार किया गया था। 

सब में बंटता था कमीशन

उन्होंने बताया कि पुलिस टीमों ने उनके कब्जे से 6 फर्जी हथियार लाइसेंस, फर्जी आधार कार्ड और .32 बोर की 4 पिस्तौल, .32 बोर की 2 रिवॉल्वर और 1 डबल बैरल राइफल सहित 7 हथियार भी बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना सूरज भंडारी असलहा लाइसेंस बनाने के लिए प्रति ग्राहक 1.5 लाख रुपए की फीस ले रहा था, जिसमें से 5-10 हजार रुपए का कमीशन आरोपी फोटोस्टेट दुकान मालिक बलजीत को दिया जाता था, जबकि सर्विस केंद्र के कर्मचारी हरपाल को 10-20 हजार रुपए मिलते थे। उन्होंने आगे कहा कि वे क्यूआर कोड, होलोग्राम, स्टांप और डिजिटल हस्ताक्षर के साथ छेड़छाड़ करते थे। आरोपी सूरज भंडारी को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें छापेमारी कर रही हैं।

रिपोर्ट: मोनी देवी



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