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Monday, July 8, 2024

विशेष राज्य का दर्जा क्यों चाहते हैं बिहार और आंध्र प्रदेश? मिल गया तो क्या होगा फायदा, समझिए

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Why do Bihar Andhra Pradesh want Special Category Status: बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के बाद इस मांग ने और गति पकड़ ली है। इसकी प्रमुख वजह ये है कि दोनों ही राज्यों के सत्ताधारी दल अब केंद्र की सत्ता में भी साथी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश की जदयू और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी केंद्र के सत्ताधारी NDA गठबंधन का हिस्सा हैं। लोकसभा में तेदेपा के 16 सांसद हैं और वह भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी है। लोकसभा में 12 सांसदों के साथ जद(यू) भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है, जबकि लोजपा (रामविलास) के पांच सांसद हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में तेदेपा और जद (यू) के दो-दो सदस्य भी हैं।

क्या है विशेष राज्य का दर्जा? क्या संविधान में इसके लिए प्रावधान हैं?

विशेष राज्य का दर्जा (Special Category Status) भारत में उन राज्यों को दिया जाता है जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से पिछड़े होते हैं। यह दर्जा प्राप्त होने पर उन्हें केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता और रियायतें मिलती हैं।

विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • कठिन भौगोलिक स्थिति जैसे पहाड़ी या दूरस्थ क्षेत्र।
  • कम जनसंख्या घनत्व और/या पर्याप्त जनजातीय आबादी।
  • सीमांत राज्य होना और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटा होना।
  • आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से पिछड़ापन।
  • विकास के लिए बुनियादी ढांचे की कमी।

संविधान में विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है। यह दर्जा राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) द्वारा प्रदान किया जाता है। केंद्र सरकार राज्यों को इस आधार पर अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि वे अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधार सकें।

किन राज्यों को मिल चुका है विशेष राज्य का दर्जा?

भारत में साल 1969 में गाडगिल कमेटी की सिफारिशों के तहत विशेष राज्य के दर्जे की संकल्पना अस्तित्व में आई थी। इसी साल असम, नगालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को इस तरह की विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है। इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं।

विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या फायदा होता है?

विशेष राज्य का दर्जा (Special Category Status) प्राप्त करने से संबंधित राज्य को कई फायदे होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है। 

1. वित्तीय सहायता और अनुदान:

विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय योजनाओं के लिए अधिक वित्तीय सहायता मिलती है। सामान्यतः केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमशः 60% और 40% होती है, लेकिन विशेष राज्य के लिए यह 90% केंद्र और 10% राज्य होती है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के मामले में विशेष दर्जा रखने वाले राज्यों को 90 फीसदी धनराशि मिलती है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह अनुपात 60 से 70 फीसदी है। इन राज्यों को अधिकतर सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है, जिससे उनके ऋण बोझ में कमी आती है।

2. कर यानी टैक्स संबंधी रियायतें

विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय करों और शुल्कों में अधिक हिस्सा दिया जाता है, जिससे उनकी राजस्व स्थिति मजबूत होती है। केंद्रीय बजट में इन राज्यों को अधिक धनराशि आवंटित की जाती है, जिससे विभिन्न विकास कार्यों को तेजी से पूरा किया जा सके।

3. औद्योगिक प्रोत्साहन

इन राज्यों में उद्योगों को स्थापित करने के लिए विशेष रियायतें और प्रोत्साहन दिए जाते हैं, जैसे टैक्स में छूट, सब्सिडी आदि। इससे औद्योगिक विकास को गति मिलती है। निवेशकों को विशेष राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से विशेष योजनाएं और प्रोत्साहन दिए जाते हैं।

4. बुनियादी ढांचे का विकास

बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष राज्य को केंद्र सरकार से अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है। इसमें सड़कें, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं आदि शामिल हैं। इन राज्यों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाती हैं जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।

5. प्राकृतिक आपदाओं में राहत

विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को प्राकृतिक आपदाओं के समय में तेजी से राहत और पुनर्वास सहायता मिलती है। विशेष राज्य के पास आपदा प्रबंधन के लिए अलग से फंड उपलब्ध कराया जाता है, जिससे आपदाओं से निपटने में आसानी होती है।

6. सामाजिक विकास:

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष योजनाएं और परियोजनाएं चलाई जाती हैं, जिससे राज्य की सामाजिक स्थिति में सुधार होता है। गरीबी उन्मूलन के लिए विशेष योजनाओं का संचालन किया जाता है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को सहायता मिलती है।

इन राज्यों को देश के सकल बजट का 30% हिस्सा मिलता है। इसके अलावा विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में रियायतें मिलती हैं। कुल मिलाकर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से राज्य को आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण मदद मिलती है, जिससे राज्य की समग्र स्थिति में सुधार होता है और वहां के निवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठता है।

बिहार को क्यों चाहिए विशेष श्रेणी का दर्जा?

साल 2000 में तत्कालीन बिहार राज्य को दो राज्यों बिहार और झारखंड में विभाजित किया गया था। झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। इसके अलग होने की वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। नीतीश कुमार कई वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में आता है।

बिहार का आर्थिक विकास अन्य राज्यों की तुलना में धीमा है। औद्योगिकीकरण की कमी और रोजगार के सीमित अवसर यहां की मुख्य समस्याएं हैं। कई विकास के मापदंडों पर बिहार अन्य राज्यों से पीछे है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे आदि। बिहार में हर साल बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे आर्थिक और मानव संसाधनों का भारी नुकसान होता है। इसके अलावा, बिहार की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन यहां की कृषि उत्पादकता भी अन्य राज्यों की तुलना में कम है।

आंध्र प्रदेश को क्यों चाहिए विशेष श्रेणी का दर्जा?

साल 2014 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना नाम से दो राज्यों में बांटा गया था। तेलंगाना के अलग होने के बाद, आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी बनाने की आवश्यकता पड़ी। यह एक महंगा और समयसाध्य प्रक्रिया है। तेलंगाना के नए राज्य बनने के बाद, आंध्र प्रदेश को वित्तीय असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है, जिससे विकास कार्यों में कठिनाई हो रही है। नए राज्य को औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की आवश्यकता है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति सुधर सके। आंध्र प्रदेश अक्सर चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है। विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने से आपदा प्रबंधन के लिए अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्राप्त हो सकती है।

बता दें कि आंध्र प्रदेश के वित्तीय केंद्र राजधानी हैदराबाद को तेलंगाना के हिस्से में देने के बदले में पांच वर्षों के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। इसके विरोध में चंद्रबाबू नायडू ने 2018 में एनडीए छोड़ दिया था। हालांकि वह एक बार फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं और खुद राज्य के मुख्यमंत्री हैं। 



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