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Wednesday, August 28, 2024

अब PoK पर चीन की नजर? सटे इलाके में 13000 फीट की ऊंचाई पर बना रहा गुप्त सैन्य अड्डा, सैटेलाइट इमेजरी से खुलासा

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पड़ोसी देश चीन हमेशा अपनी विस्तारवादी नीति को अंजाम देता रहा है। इस वजह से पड़ोसी देशों के साथ उसका या तो सीमा विवाद रहा है या वहां उसकी विस्तारवादी सोच के तहत वन बेल्ट वन रोड इनिशिएटिव योजना काम करती रही है। इसी क्रम में चीन लंबे समय से पाकिस्तान में अपनी अतिमहत्वकांक्षी परियोजनाओं को अंजाम देता रहा है। अब खबर है कि मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान में चीन 13000 फीट की ऊंचाई पर एक गुप्त सैन्य अड्डा बना रहा है। ताजिकिस्तान सोवियत रूस से अलग होकर स्वतंत्र देश बना है। यह चारों तरफ से भूमि से घिरा देश है।

हालांकि, चीन ने इसका खंडन किया है लेकिन सैटेलाइट इमेजरी इस बात की तस्दीक करते हैं कि पड़ोसी देश का मंसूबा ठीक नहीं है। ‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट में सैटेलाइट इमेजरी के हवाले से कहा गया है कि  चीन पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से सटे इलाके में ताजिकिस्तान में 13000 फीट की ऊंचाई पर गुप्त सैन्य अड्डे का निर्माण पिछले एक दशक से कर रहा है।

बीजिंग ने इस खबर का खंडन किया है और कहा है कि चीन ताजिकिस्तान में किसी तरह का कोई गुप्त सैन्य अड्डा नहीं बना रहा है। चीन ने ये भी कहा है कि चीन-ताजिकिस्तान वार्ता में यह मुद्दा एजेंडे में भी नहीं था। मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट इमेजरी में सैन्य अड्डा, हेलीपैड, चारदीवारी, रोड और वॉच टॉवर के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस जगह पर चीन सैन्य अड्डा बना रहा है वह रणनीतिक रूप से काफी अहम है क्योंकि वह अफगानिस्तान सीमा से निकट है।

रक्षा जानकारों का कहना है कि भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस की सीमा से सटे जिस इलाके में  गुप्त सैन्य अड्डा बन रहा है,वह मध्य एशिया एशिया का एक अहम केंद्र है । चीन इसीलिए उस इलाके पर फोकस कर रहा है। संकट के समय में वहां से किसी भी देश में सेना भेजना चीन के लिए ना सिर्फ सरल और सहज होगा बल्कि रणनीतिक रूप से भी काफी अहम हो सकता है। इसके अलावा मध्य एशिया चीन की प्रमुख बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की अहम कड़ी है। बीजिंग इसके जरिए विदेशों में अपना प्रभाव बढ़ाता रहा है।

बता दें कि पिछले सप्ताह ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताजिकिस्तान का दौरा किया था और ताजिकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने का ऐलान किया था। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बें पहुंचने पर पारंपरिक वेशभूषा में सजे 1,500 से अधिक ताजिक युवाओं ने जीवंत चीनी और ताजिक गीत और नृत्य प्रस्तुत कर उनका स्वागत किया था। 



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