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Friday, November 8, 2024

छगन भुजबल की शरद पवार से मुलाकात पर हलचल, अब खुद बताया- क्या बात थी

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महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल एक बार फिर से तेज होती नजर आ रही है। एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार से सोमवार को मुलाकात की। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अगुवाई वाली प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से ताल्लुक रखने वाले भुजबल शरद के मुंबई स्थित सिल्वर ओक आवास पर पहुंचे। इस मीटिंग के बाद उन्होंने कहा कि मराठा-ओबीसी आरक्षण पर बात करने को लेकर वह यहां आए थे। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में तो ऐसी चर्चा है कि परदे के पीछे कोई नई सियासी पटकथा रची जा रही है। 

छगन भुजबल ने कहा, ‘शरद पवार राज्य के सीनियर नेता हैं जो अलग-अलग जाति के घटकों के जीवन को जानते हैं। वह जानते हैं कि गांवों में विभिन्न समुदायों के लोग कैसे रह रहे हैं। मैंने उन्हें बताया कि गांवों में झड़पें हो रही हैं। अगर मराठा आरक्षण को लेकर सभी दलों के नेता एक साथ आएं तो इसे रोका जा सकता है। मैंने उनसे मराठा-OBC के विवाद में मध्यस्थता करने की बात कही है। ऐसा नहीं हुआ तो आगे जाकर स्थिति बिगड़ जाएगी। उन्होंने (शरद पवार) कहा कि वे एकनाथ शिंदे के साथ बात करेंगे। और समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी। मैं ओबीसी आरक्षण के मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह या एलओपी राहुल गांधी से मुलाकात कर सकता हूं। मैं इस मुद्दे को हल करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं।’

क्या अलग-थलग पड़ते जा रहे छगन भुजबल 

कांग्रेस, एनसीपी (शरद गुट) और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (उद्धव बालासाबेब ठाकरे) से मिलकर महा विकास अघाड़ी (MVA) बना है। इनके नेता 9 जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए। उनका दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया। भुजबल ने रविवार को दावा किया था कि विपक्षी नेता 9 जुलाई को शाम 5 बजे बारामती से आए एक फोन कॉल के बाद बैठक में शामिल नहीं हुए। पुणे जिले का बारामती लोकसभा क्षेत्र 83 वर्षीय शरद पवार का गढ़ है। सूत्रों ने बताया कि भुजबल को लग रहा है कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग हैं। ऐसे में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल सकते हैं। 



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