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Friday, December 27, 2024

अखिलेश और मुरादाबाद के कमिश्नर की सोशल मीडिया पर 'शायराना जंग', जानें किस पर कौन भारी

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लखनऊ:

यूपी के संभल मस्जिद विवाद पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी आमने-सामने है. सपा मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि आखिर संभल मस्जिद में दूसरी बार सर्वे करने की जरूरत क्‍या थी? मस्जिद के दूसरी बार हुए सर्वे के दौरान ही हिंसा हुई थी. अखिलेश यादव ने मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह पर भी तंज कसा और आरोप लगाए कि उन्‍होंने अपना फर्ज नहीं निभाया. अब कमिश्नर आंजनेय सिंह ने अखिलेश के स्‍टाइल में ही उन्‍हें सोशल मीडिया पर जवाब दिया है, जो वायरल हो रहा है. बता दें कि योगी सरकार ने संभल मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी के दो नेताओं को जिम्‍मेदार ठहराया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. 

अखिलेश यादव ने मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें उन्‍होंने लिखा था- झूठ को सच की मीठी चाशनी में लपेटकर खिलानेवाले… आईने में कितना शर्मिंदा होंगे अपना फ़र्ज़ न निभानेवाले. इसके साथ ही अखिलेश ने संभल विवाद पर हुई कमिश्नर आंजनेय सिंह की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के वीडियो को भी पोस्‍ट किया था. 

अखिलेश ने इस इस पोस्‍ट जरिए कमिश्नर आंजनेय सिंह पर इशारों ही इशारों में ये आरोप लगाए थे कि वे संभल विवाद पर सच को छिपा रहे हैं. वह लोगों को झूठ बता रहे हैं. झूठ भी इस तरीके से बता रहे हैं कि सुनने वालों को आसानी से यकीन हो जाए. लेकिन कमिश्नर आंजनेय सिंह को पता है कि आखिर क्‍या सच है? अखिलेश ने इशारों ही इशारों में आरोप लगाया कि कमिश्नर आंजनेय सिंह ने अपना फर्ज नहीं निभाया. 

कमिश्नर आंजनेय सिंह ने अब अखिलेश यादव को उन्‍हीं के शायराना अंदाज में जवाब दिया है. उन्‍होंने एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में शाहिद ज़की नाम के शायर की कुछ लाइनें शेयर की हैं- 
नेक लोगों में मुझे नेक गिना जाता है और गुनहगार गुनहगार समझते हैं मुझे।
मैं बदलते हुए हालत में ढल जाता हूं, देखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे। 
वो जो उस पार हैं इस पार मुझे जानते हैं
ये जो इस पार हैं उस पार समझते हैं मुझे। 

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इस सोशल मीडिया पोस्‍ट में कमिश्नर आंजनेय सिंह ने इशारों ही इशारों में अखिलेश यादव के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्‍होंने बताने की कोशिश की है कि वह अपना फर्ज पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों को वह गुनहगार लग रहे हैं, क्‍योंकि वे खुद इस प्रावृत्ति के हैं. मैं किसी के साथ नहीं हूं, लेकिन दोनों ओर के लोगों को लगता है कि वे दूसरे खेमे में हैं. 





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