जम्मू-कश्मीर में चुनावों के चलते अलगाववादी नेता और मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज उमर फारुख को नजरबंद कर दिया गया है। उन्हें शुक्रवार को भी जुमे की नमाज पढ़ने और उपदेश देने की अनुमति नहीं दी गई। अपनी नजरबंदी की आलोचना करते हुए मीरवाइज ने आशंका व्यक्त जताई कि उन्हें जम्मू-कश्मीर चुनाव के अंत तक हिरासत में रखा जा सकता है, जो कि 18 सितंबर से शुरू हो कर 1 अक्टूबर को समाप्त होगा। जामिया मस्जिद की प्रबंधक संस्था अंजुमन औकाफ ने कहा कि मीरवाइज उमर फारुख को शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि उन्हें घर पर ही नजरबंद किया जा रहा है और उन्हें शुक्रवार का उपदेश देने और नमाज के लिए मंदिर में जाने की इजाजत नहीं है।
अपनी नजरबंदी पर मीरवाइज ने एक बयान में कहा कि यह एक और शुक्रवार है जब मुझे उपदेश देने के लिए और जुमे की नमाज अदा करने के लिए जामा मस्जिद जाने से रोक दिया गया है, पिछले सितंबर में कोर्ट जाने के बाद मुझे नजरबंदी से रिहा किया गया था और अब यह फिर शुरू कर दिया गया है।
क्या है मीरवाइज की नजरबंदी का कारण?
इस मामले पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष जानने के लिए एचटी ने श्रीनगर के डिप्टी कमीश्नर बिलाल मोहिउद्दीन भट और एसएसपी इम्तियाज हुसैन से बात की लेकिन उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन मीरवाइज की यह नजरबंदी उस वीडियो से जोड़ कर देखी जा रही है, जिसमें वह मस्जिद में उपदेश देते नजर आ रहे हैं कि हमारे अपने लोग अत्याचारियों का समर्थन करने और हमारे खिलाफ हथियार बनने के लिए तैयार हो गए हैं। अपने व्यक्तिगत हितों के लिए वह अपने समाज और समुदाय को धोखा देने के लिए तैयार हो गए हैं। लोगों ने इसे जमात-ए-इस्लामी के चुनावों में शामिल होने को लेकर देखा। क्योंकि जमात के लोग भी पहले अलगाववादियों के साथ मिलकर चुनावों का बहिष्कार करते थे।
2019 में आर्टिकल 370 को हटाते समय मीरवाइज को किया गया था नजरबंद
2019 में जब केन्द्र सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था तो जम्मू-कश्मीर के बाकी नेताओं की तरह मीरवाइज को भी नजरबंद कर दिया गया था। लगातार नजरबंदी में रहने के बाद कोर्ट के दखल के बाद सितंबर 2023 में मीरवाइज को रिहा किया गया और मस्जिद में उन्हें उपदेश देने की अनुमति दी गई थी।
मीरवाइज ने कहा कि बिना कोई कारण बताए उन्हें बस यह बता दिया गया कि वह बाहर नहीं जा सकते, यह बहुत ही निराशाजनक है। मेरी पूरी स्वतंत्रता सत्ता पर बैठे कुछ लोगों के आदेश पर है वह जब चाहे मुझे नजरबंद कर देते हैं। एक मजहबी और सामाजिक हस्ती के रूप में मेरी गतिविधियों को रोक दिया गया है, जिससे मुझे और उन गतिविधियों से जुड़े लोगों को परेशानी हो रही है। अफवाह है कि मुझे चुनाव के अंत तक नजरबंदी में रखा जा सकता है।