अंकुर सैनी, सहारनपुर: सहारनपुर जिले में स्थित देश का सबसे पहला गांधी आश्रम आज अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है और विलुप्त होने की कगार पर है. जहां सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित कर रही है, वहीं 1943 में स्थापित सहारनपुर के गांव घाटहेड़ा में स्थित यह गांधी आश्रम उपेक्षा का शिकार हो रहा है. स्वतंत्रता संग्राम में इस आश्रम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता.
अंग्रेजी शासन के दौरान यह आश्रम स्वतंत्रता सेनानियों की शरणस्थली था. यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी जैसी शख्सियतें भी आती थीं. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मनानी रेलवे स्टेशन को फूंकने की योजना भी इसी गांधी आश्रम में बनाई गई थी, जिसे बाद में क्रांतिकारियों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया. यहां एक प्रशिक्षण केंद्र भी था, जहां से प्रशिक्षित होकर देशभर के गांधी आश्रमों में कर्मचारियों की तैनाती की जाती थी.
यहीं बनती थीं अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने की योजनाएं
ग्राम प्रधान पति रॉबिन पंवार ने लोकल 18 को बताया कि सहारनपुर के रामपुर मनिहारान विधानसभा के गांव घाटहेड़ा में स्थित यह गांधी आश्रम देश का पहला गांधी आश्रम है, जिसकी स्थापना 1943 में हुई थी. यहां से आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी गई थी. इस गांधी आश्रम में आसपास के 32 गांवों के लोग इकट्ठा होते थे और अंग्रेजों से लड़ने की रणनीति बनाई जाती थी.
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रही ऐतिहासिक धरोहर
रॉबिन पंवार ने बताया कि यह आश्रम आज जर्जर स्थिति में है, जबकि अन्य ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है. अब तक इस गांधी आश्रम को पर्यटन स्थल बनाने के लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया गया है. पंवार का मानना है कि यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में लोग इस ऐतिहासिक धरोहर को पूरी तरह से भूल जाएंगे.
इतिहास की गवाह बनी पुरानी इमारत
गांव घाटहेड़ा की पुरानी गांधी आश्रम की इमारत आज भी इतिहास की गवाह बनी खड़ी है, लेकिन इसका संरक्षण नहीं हो पाया है. गुर्जर बाहुल्य इस गांव की आबादी करीब 7,000 है. यहां के लोग अब भी इस गांधी आश्रम से जुड़े गौरवशाली इतिहास को संजोने की कोशिश कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 17:52 IST