रामपुर: यूपी के रामपुर में एक 80 साल पुरानी दुकान है. इस दुकान पर बनने वाली गजक आज भी अपनी ताजगी और खास स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कारीगरों द्वारा पारंपरिक तरीकों से बनाई जाने वाली इस गजक की मांग सर्दियों में काफी बढ़ जाती है. इस दुकान के मालिक दिनेश गोयल बताते हैं कि यह प्रक्रिया पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी गजक को उसी खास तरीके से तैयार किया जाता है, जैसा पहले किया जाता था.
गुड़, तिल और मूंगफली का मिश्रण
इस गजक को बनाने के लिए सबसे पहले गुड़ को पिघलाया जाता है. कारीगर बड़े लोहे की कढ़ाई में गुड़ को धीमी आंच पर पकाते हैं. ताकि उसका रंग और मिठास बरकरार रहे. दूसरी तरफ, मूंगफली और तिल को हल्की आंच पर सेंका जाता है. ताकि उसका स्वाद निखर सके. इस प्रक्रिया के दौरान यह ध्यान रखा जाता है कि न तो मूंगफली ज्यादा भूने और न ही तिल जले. क्योंकि इससे गजक के स्वाद में फर्क पड़ सकता है.
लकड़ी के हथोड़े से कुटाई
गजक की सबसे खास बात यह है कि इसे लकड़ी के हथोड़े से कुट-कुट कर बनाया जाता है. दिनेश गोयल बताते हैं कि यह पारंपरिक तरीका हमारी दुकान की पहचान है. पहले गुड़, मूंगफली और तिल का मिश्रण एक बड़े तवे पर फैलाया जाता है. फिर उसे धीरे-धीरे ठंडा होने दिया जाता है. जब यह आधा ठंडा हो जाता है, तब लकड़ी के हथोड़े से इसे बराबर दबाकर पतली परत बनाई जाती है. इसके बाद इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है.
सादगी के स्वाद से है भरपूर
यहां की गजक में कोई कृत्रिम स्वाद या संरक्षक नहीं डाले जाते हैं, जिससे इसका स्वाद बेहद प्राकृतिक और लाजवाब होता है. इस दुकान की खासियत यह है कि सालों से यहां की गजक का स्वाद और गुणवत्ता एक जैसी बनी हुई है. हर सर्दी में लोग यहां से ताजी और कुरकुरी गजक खरीदने आते हैं, जो इस दुकान की पहचान है.
अगर आप भी सर्दियों में कुछ मीठा और खास खाने का मन बना रहे हैं, तो रामपुर की इस 80 साल पुरानी दुकान की गजक जरूर आजमाएं. इसका स्वाद बहुत ही लाजवाब है.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 10:13 IST