भाद्रपद का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है. उस माह के कृष्ण पक्ष में पहला और शुक्ल पक्ष में अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार का प्रदोष व्रत रविवार के दिन है, इसलिए यह रवि प्रदोष व्रत होगा. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा शाम के समय में करते हैं. महादेव की कृपा से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार शिव पूजा के लिए 2 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि भाद्रपद का अंतिम प्रदोष या रवि प्रदोष व्रत कब है? प्रदोष पूजा का मुहूर्त क्या है?
रवि प्रदोष व्रत 2024 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद के अंतिम प्रदोष व्रत के लिए जरूरी भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ इस साल 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 12 मिनट से होगा. यह तिथि अगले दिन 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर खत्म होगी. प्रदोष की पूजा मुहूर्त के आधार पर रवि प्रदोष व्रत 15 सितंबर रविवार को रखा जाएगा.
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रवि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
यदि आप 15 सितंबर को रवि प्रदोष व्रत रखते हैं तो आपको शिव पूजा के लिए 2 घंटे 20 मिनट तक का शुभ समय प्राप्त होगा. रवि प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 46 मिनट तक है.
रवि प्रदोष के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 4 बजकर 33 मिनट से 5 बजकर 19 मिनट तक है. इस मुहूर्त में व्रती को स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए. फिर व्रत और शिव पूजा का संकल्प करना चाहिए. रवि प्रदोष के दिन का शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक है.
सुकर्मा योग और धनिष्ठा नक्षत्र में होगी प्रदोष पूजा
रवि प्रदोष के दिन सुकर्मा योग बनेगा. उस दिन प्रात:काल से दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक अतिगंड योग रहेगा. उसके बाद से सुकर्मा योग प्रारंभ हो जाएगा, जो अगले दिन 16 सितंबर को 11 बजकर 42 मिनट तक होगा. व्रत वाले दिन सुबह में श्रवण नक्षत्र है, लेकिन शाम को 6 बजकर 49 मिनट से धनिष्ठा नक्षत्र है.
पूजा पाठ और सत्कर्म के लिए सुकर्मा योग उत्तम माना जाता है. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय करते हैं, इसलिए शिव पूजा के समय सुकर्मा योग और धनिष्ठा नक्षत्र है.
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रुद्राभिषेक के लिए अच्छा दिन
प्रदोष व्रत का दिन रुद्राभिषेक के लिए अच्छा है. उस दिन शिववास कैलाश पर शाम 6 बजकर 12 मिनट तक है. उसके बाद शिववास नन्दी पर है.
रवि प्रदोष व्रत का महत्व
रवि प्रदोष का व्रत और शिव पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है. प्रदोष व्रत के शुभ प्रभाव से सभी प्रकार के दोष, दुख आदि का नाश होता है. शिव कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 10:06 IST