रामपुर: 15 अगस्त को देश भर में आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह दिवस राष्ट्रीय दिवसों की सूची में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह हर भारतीय को एक नई शुरुआत की याद दिलाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत भले ही 1947 में आजाद हो गया था, लेकिन रामपुर को स्वतंत्रता दो साल बाद मिली.
जब चारों ओर गांधी की टोपी और तिरंगे के साथ जश्न मनाया जा रहा था, तराने और देशभक्ति के गीत गाए जा रहे थे, तब देश की आजादी के दिन रामपुर में कर्फ़्यू लगा था. यहां हिंसा हो रही थी, जिसमें पुलिस कर्मियों समेत दो दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे. उपद्रवियों ने हाई कोर्ट को फूंक दिया और रियासत के गृहमंत्री की कार में आग लगा दी थी.
रियासत के विलय को मंजूरी
अंतिम नवाब रजा अली खान ने तेजी से बिगड़ते हुए माहौल को देखते हुए रामपुर रियासत के विलय को मंजूरी दे दी. इतिहासकार फरहलत अली खान के मुताबिक, आजादी के करीब दो साल बाद, यानी 30 जून 1949 को रामपुर का संयुक्त प्रांत में विलय हुआ और इसे पश्चिमी खंड में एक जिला घोषित कर दिया गया.
नवाबों का शासन और विलय की कहानी
जानकारों के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद भी रामपुर नवाबों की रियासत थी. आखिरी शासक नवाब रजा अली खान ने ही रामपुर रियासत को विलय करने पर सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किए थे. इस तरह, रामपुर में 174 साल, आठ माह और 23 दिन तक नवाबों का शासन रहा.
विलय के बाद का जश्न
आजादी के दो वर्ष बाद, जब रामपुर को आजाद किया गया, तब रामपुर को दुल्हन की तरह सजाया गया. होली-दिवाली से बढ़कर उल्लास मनाया गया था. उस दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किए गए. साथ ही आजादी से जुड़ी चीजों से भी रूबरू कराया गया.
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FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 09:52 IST