अंजू प्रजापति/रामपुर: UP के रामपुर के इतिहास में एक ऐसी घटना दर्ज है, जिसने उस समय की न्यायप्रियता और प्रशासन की सख्ती को दर्शाया. यह घटना 1892 की है, जब रामपुर के तत्कालीन प्रधानमंत्री जनरल अजीमुद्दीन खां की हत्या के बाद, उनके हत्यारों की भव्य हवेली को नवाब हामिद अली खां के आदेश पर ढहा दिया गया था.
सय्यद असगर ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि जनरल अजीमुद्दीन खां ने अंग्रेजी शिक्षा की पढ़ाई के लिए साहसी कदम उठाए, जिससे कुछ वर्गों में असंतोष हुआ. 1891 में रमजान के दौरान, उन पर हमला हुआ, जिसमें उन्हें और उनके साथियों को गोलियों का शिकार बनाया गया. हत्याकांड के दोषियों को सजा मिली. नवाब हामिद अली खां ने रामपुर की हवेली को ध्वस्त किया, और उस जमीन पर स्कूल की इमारत बनाई गई.
जनरल अजीमुद्दीन खां की नीतियां
जनरल अजीमुद्दीन खां, जो अपनी कड़े फैसलों और न्यायप्रियता के लिए जाने जाते थे, ने अंग्रेजी शिक्षा और लड़कियों की पढ़ाई के लिए कई साहसी कदम उठाए थे. उनकी नीतियों ने रियासत के कुछ वर्गों में असंतोष पैदा कर दिया, जिसके चलते उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया.
हत्या और नवाब का आदेश
1891 में रमजान के महीने के दौरान, एक हमले में उन्हें और उनके साथियों को गोलियों का शिकार बनाया गया. इस हत्याकांड के दोषियों को बाद में कड़ी सजा दी गई. नवाब हामिद अली खां ने, जो उस समय नैनीताल में थे, रामपुर की प्रसिद्ध हवेली को ध्वस्त करने का फैसला किया, जो इन हत्यारों से संबंधित थी. इस जमीन पर बाद में एक स्कूल की इमारत बनाई गई, जो आज भी इस घटना की याद दिलाती है.
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सय्यद असगर अली की पुस्तक में वर्णन
सय्यद असगर अली द्वारा लिखी गई किताब ‘अहवाले रियासते रामपुर’ में इस घटना का विस्तृत वर्णन मिलता है. सौलत पब्लिक लाइब्रेरी के सहयोग से प्रकाशित इस पुस्तक ने रामपुर के उस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश की गहरी झलक पेश की है. यह घटना बताती है कि कानून का पालन करवाने के लिए नवाबी शासन कितना दृढ़ था. यह किस्सा सिर्फ इतिहास के पन्नों में नहीं, बल्कि आज भी रामपुर की गलियों में जीवित है, जो उस दौर के शासन की न्यायप्रियता और सख्त फैसलों की गवाही देता है.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 13:42 IST