अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: पितरों के प्रति श्रद्धा का महापर्व पितृ पक्ष शुरू हो गया है. पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इसके अलावा लोग गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन भी कराते हैं. गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन क्यों कराया जाता है? इसके पीछे क्या धार्मिक मान्यता है? पितरों से इनका क्या संबंध है? आपके मन में भी यदि यह सवाल है तो काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से आज ही इन सभी सवालों के जवाब आप जान लीजिए.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि पितृपक्ष में पंचबलि का विधान हमारे शास्त्रों में है. इन्ही पंच बलि में गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन कराने की बात कही गई है. इन सभी का अलग अलग फायदे भी हमारे शास्त्रों में बताए गए हैं.
गाय में है देवताओं का वास
संजय उपाध्याय ने बताया कि गाय को देवी देवताओं का स्वरूप माना जाता है.ऐसी मान्यता है भी है कि गौ माता में सभी देवी देवता विराजमान होते हैं. इसलिए पितृपक्ष में देवताओं को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए उन्हें सबसे पहले भोजन कराया जाता है.
इसलिए कौवे को खिलाते हैं भोजन
इसके अलावा बात कौवे की करें, तो कौवे को संचार वाहक और यम का प्रतीक मानते हैं. यह हमारे संदेश को पितरों तक पहुंचाते हैं. जिससे हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए पितृपक्ष के 15 दिनों में कौवे को भोजन कराया जाता है. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. मान्यता यह भी है कि यदि भोजन देते समय कौवा मुंह मोड़ ले, तो यह संकेत देता है कि आपके पितर आपसे नाराज हैं.
यम का प्रतीक है कुत्ता
वहीं कुत्ते की बात करें तो कुत्ते को यम का प्रतीक मनाते हैं. यह दंडाधिकारी भैरव की सवारी भी है. कथाओं के अनुसार, श्याम और सबल नाम के दो स्वांग (कुत्ते) यमराज के मार्ग का अनुसरण करते हैं, जो पितरों को यमलोक पहुंचाने का मार्ग भी दिखाते हैं. इसलिए श्राद्ध और तर्पण के बाद कुत्ते को भोजन कराया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 14:46 IST
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