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committees Dispute Of Selha Baba : उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच स्थित सेल्हा बाबा दरगाह में लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस साल भी नहीं लगेगा. कमेटी का आपसी विवाद और वन विभाग व पुलिस एनओ…और पढ़ें
सांकेतिक तस्वीर.
हाइलाइट्स
- पीलीभीत में सेल्हा बाबा दरगाह का मेला इस साल भी रद्द.
- कमेटी विवाद और एनओसी न मिलने से आयोजन रद्द.
- हजारों मुर्गों की कुर्बानी इस साल नहीं होगी.
पीलीभीत. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच स्थित सेल्हा बाबा दरगाह में लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस साल भी नहीं लगेगा. कमेटी का आपसी विवाद और वन विभाग व पुलिस एनओसी न मिलने के चलते यह आयोजन इस साल भी रद्द हो गया है. लगातार यह दूसरा वर्ष है जब सेल्हा बाबा का उर्स फिर से नहीं लगेगा. गौरतलब है कि बीते लगभग 150 वर्षों से पीलीभीत टाइगर रिजर्व की बाराही रेंज स्थित सेल्हा बाबा दरगाह का सालाना उर्स मनाया जाता है. जहां हजारों मुर्गों की कुर्बानी दी जाती है.
घने जंगलों में स्थित सेल्हा बाबा दरगाह का इतिहास सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है. जानकारों के अनुसार इस मजार की स्थापना को लेकर कुछ ख़ास पुख़्ता जानकारी अब तक नहीं है. सैकड़ों सालों से इस मज़ार पर लोग अपनी आस्था अनुसार माथा टेकते हैं. मजार को लेकर मान्यता है कि कई सालों पहले जब पीलीभीत में बंजारा समुदाय के लोग नेपाल से पशु खरीद कर इस रास्ते अपने-अपने गांव लौटते थे. तब कई बार पशु रास्ता भटक कर जंगल में खो जाते थे. ऐसे में वे यहां पर आकर मन्नत मांगते थे. तो पशु खुद ब खुद जंगल से वापस लौट आते थे. तब से यहां के प्रति लोगों की आस्था गहराने लगी.
उर्स के दौरान मुर्गे की कुर्बानी का रिवाज
समय के साथ दरगाह की प्रसिद्धि बढ़ने लगी और इस इलाके के अलावा अन्य जगहों के लोग भी यहां मन्नत मांगने आने लगे. वर्तमान में प्रत्येक समुदाय के लोग अपनी मन्नतें सेल्हा बाबा के सामने रखते हैं. जिनके पूरा हो जाने के बाद उर्स के दौरान दरगाह पर मुर्गा चढ़ाने का रिवाज है. यहां आने वाले जायरीन बाबा की दरगाह पर जाकर मुर्गे का सर टेकते हैं और फिर उसके बाद मुर्गे को वहीं हलाल कर मुर्गा पका कर लोगों में प्रसाद स्वरूप बांट देते हैं. 5 दिन चलने वाले मेले में हजारों की संख्या में मजार पर मुर्गा चढ़ाया जाता है.
इस कारण नहीं मिली अनुमति
दरअसल, हर साल सेल्हा बाबा की मज़ार पर होली के अगले शुक्रवार से 5 दिन तक उर्स मनाया जाता था. लेकिन बीते वर्ष रमज़ान होने के चलते उर्स की तारीखों में फेरबदल कर दिया गया जिससे कमेटी के सदस्यों के बीच भी विवाद गरमा गया था. जब कमेटी ने मेले के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी तो प्रशासन ने चुनावी माहौल और आचार संहिता के दौरान नई परंपरा डालने का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था. इधर इस वर्ष भी यह आयोजन पुलिस व वन विभाग की एनओसी और कमेटी का विवाद कोर्ट में विचाराधीन होने के चलते यह मेला इस साल भी आयोजित नहीं हो रहा है.