Anushka Sharma Opens Up First Time on Parenting: अनुष्का शर्मा बुधवार को लंबे समय बाद मुंबई में नजर आईं. अपने बेटे अकाय के जन्म के बाद से ही लंदन में रह रही हैं. खबरें ता ये भी है कि अनुष्का और विराट कोहली लंदन में परमानेंटली शिफ्ट हो गए हैं. जब से अनुष्का ने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है, वो बहुत ही कम पब्लिक इवेंट्स में नजर आई हैं. मुंबई पहुंची अनुष्का ने पहली बार पेरैंटिंंग पर बात की है. इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि कैसे उनकी बेटी की वजह से उनकी नींद और नियम अच्छे हो गए हैं. क्योंकि अनुष्का-विराट की बेटी वामिका सूरज ढलने से पहले ही डिनर कर लेती है. अनुष्का ने अकाय की मां बनने के बाद विराट कोहली के साथ पेरैंटिंग के प्रेशर पर खुलकर बात की है.
परफेक्ट पेरैंट्स बनने का प्रेशर सच में है…
अनुष्का ने कहा, ‘परफेक्ट मम्मी-पापा बनने का प्रेशर बहुत ज्यादा होता है. लेकिन हमें ये समझना चाहिए कि ‘हम परफेक्ट नहीं है और इसमें कुछ गलत नहीं है.’ एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘हो सकता है कि हम कुछ चीजों को लेकर कंप्लेंट करें, और इन बातों को अपने बच्चों के सामने कहना कोई गलत नहीं है. ताकि उन्हें भी पता चले कि उनके पेरैंट्स भी गलतियां करते हैं.’ उन्होंने कहा कि अपनी गलतियों को अपने बच्चों के सामने रखना या उसे मनना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे उनके ऊपर दबाव कम होता है. सोचकर देखिए कि बच्चे कैसा सोचते होंगे कि ‘मेरे माता पिता ऐसे हैं और अब मुझे भी इन उम्मीदों पर खरा उतरना होगा.’
बच्चों को सिखाने की जरूरत नहीं है…
अनुष्का ने ये भी बताया कि मम्मी बनने के बाद उनकी सोशल लाइफ भी बहुत विकसित हो गई है. अनुष्का ने कहा, ‘मैं अब ऐसे ही लोगों के साथ हैंगाउट करती हूं, जो ऐसा ही करते हैं, पर ऐसे बहुत कम लोग हैं.’ ये कहते ही वो हंसने लगीं. अनुष्का बताती हैं कि कई बार हमें लोग डिनर के लिए बुलाते हैं, तो वो उन्हें कहती हैं, ‘जब हमारा डिनर होता है, तब आपका स्नैक्स टाइम होगा.’ अनुष्का ने इसी इवेंट में बताया कि उनकी बेटी वामिका शाम को 5.30 बजे अपना डिनर कर लेती है.
अपनी बेटी वामिका के साथ क्वालिटी टाइम बिताते विराट कोहली.
अनुष्का बताती हैं कि वो और विराट बच्चों को समझाने के बजाए उन्हें दिखाकर चीजें सिखाने की कोशिश करते हैं. एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘मेरी बेटी बहुत छोटी है तो मैं उसे कुछ सिखा नहीं सकती. दरअसल ये बातें सिखाने की नहीं हैं, बल्कि जैसा हम जीते हैं, वो जरूरी है. क्या हम पूरे दिन में किसी का धन्यवाद करते हैं? यहां से ही हमारे बच्चे सीखते हैं. बच्चे अपने आसपास के वातावरण को महसूस करते हैं और धीरे-धीरे वही बन भी जाते हैं.