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Wednesday, April 2, 2025

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Capsicum Farming: किसान अतुल मौर्य ने कौशाम्बी के कमालपुर में 300 पौधों से शिमला मिर्च की खेती का सफल प्रयोग किया, जिसमें देसी खाद का उपयोग किया. अब वह मल्चिंग विधि से बड़े पैमाने पर खेती करेंगे.

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देसी खाद का प्रयोग करके तैयार शिमला मिर्च की खेती.

हाइलाइट्स

  • अतुल मौर्य ने देसी खाद से शिमला मिर्च की सफल खेती की.
  • अब वह मल्चिंग विधि से बड़े पैमाने पर खेती करेंगे.
  • शिमला मिर्च की खेती में कम लागत और अच्छा उत्पादन होता है.

Shimla Mirch Ki Kheti: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के कमालपुर में रहने वाले किसान अतुल मौर्य ने 300 पौधों की बुआई कर शिमला मिर्च की खेती का सफल प्रयोग किया है. खास बात यह है कि इसमें उन्होंने केवल देसी खाद का उपयोग किया और किसी भी प्रकार की रासायनिक दवाओं या कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया. इस प्रयास से उन्हें अच्छे परिणाम मिले, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अगली बार मल्चिंग विधि से बड़े पैमाने पर शिमला मिर्च की खेती करने का फैसला लिया है.

बढ़ रही है शिमला मिर्च की मांग
किसान अतुल मौर्य का मानना है कि कृषि में असीमित संभावनाएं हैं. उन्होंने बताया कि आज के दौर में शादी-विवाह, होटल, रेस्टोरेंट में शिमला मिर्च, ब्रोकली और स्वीट कॉर्न जैसी सब्जियों की काफी मांग है. साल 2016 में उन्होंने नींबू की खेती की थी, जिसके बाद उन्होंने कुछ नया करने की सोची. जब उन्होंने शिमला मिर्च की खेती शुरू करने की योजना बनाई और लोगों से सलाह ली, तो कई लोगों ने कहा कि इस क्षेत्र में इसकी खेती संभव नहीं है. लेकिन अतुल मौर्य ने हार नहीं मानी और 300 पौधे लगाए. हालांकि, सही देखभाल न होने के कारण उनमें से केवल 100 पौधे ही बच सके.

मल्चिंग तकनीक से करेंगे बड़े पैमाने पर खेती
अब इन 100 पौधों से अच्छी गुणवत्ता की शिमला मिर्च मिल रही है. यह केवल एक प्रयोग था, लेकिन अब वह इसे बड़े पैमाने पर मल्चिंग तकनीक से करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की खेती पूरे 12 महीने की जा सकती है. अगले सीजन में वह अपनी पूरी जमीन पर मल्चिंग विधि से खेती करेंगे.
शिमला मिर्च की खेती एक बेहतरी ऑप्शन है, जिसमें कम लागत आती है और उत्पादन अच्छा होता है. हालांकि, बीज थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन जब फसल तैयार होती है, तो इसकी बाजार में काफी मांग रहती है और यह अच्छे दामों में बिकती है.

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