11.6 C
Munich
Saturday, July 19, 2025

का हाल है भईया! स्‍मृति का अवधी अंदाज, अमेठी का हर शख्‍स कैसे उनसे जुड़ जा रहा

Must read


हाइलाइट्स

इस बार नाम नहीं, काम के दम पर वोट मांग रही हैं स्मृति. 2024 में फटाफट गिनाती हैं स्मृति ईरानी अमेठी में कराए गए काम.2019 के बाद विकास पर मांग रही वोट.

अमेठी : एक दशक पहले अमेठी पहुंची सिल्वर स्क्रीन की संस्कारी बहु स्‍मृति ईरानी अमेठी की फायर ब्रांड नेता बन गई हैं. 2014 की सलीकेदार बहु 2024 के चुनाव में अमेठी की लोकप्रिय दीदी स्मृति ईरानी बन गई हैं. स्मृति ईरानी अमेठी में अवधि भाषा में चुनावी प्रचार कर रही हैं. इस बार नाम नहीं, 2019 के बाद विकास के दम पर वोट मांग रही हैं. सिलसिलेवार ढंग से कराए गए काम गिनाती हैं.

अमेठी लोकसभा 2014 में अमेठी की सियासत में जब स्मृति ईरानी मैदान में उतरीं तो उनकी छवि एक टीवी सीरियल की सलीकेदार बहू वाली थी. उस समय स्मृति ईरानी ने खुद को अमेठी की दीदी कहकर परिचय दिया था, लेकिन एक दशक बाद 2024 अमेठी की आक्रामक दीदी बनकर अवधि भाषा मे चुनाव प्रचार कर रही हैं. अमेठी में 5 साल पहले 2019 में स्मृति ईरानी की कोई सभा ऐसी नहीं होती रही होगी, जिसमें वह राहुल गांधी का नाम ना लेती रही हों. 2014 के चुनाव में वे रोजाना राहुल गांधी से एक सवाल किया करती थी और कहती थीं कि अमेठी पूछे एक सवाल. वहीं 2019 के चुनाव में भी राहुल गांधी के सांसद रहते हुए उनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों को लेकर वे उन्हें घेरा करती थीं.

एक दशक बाद स्मृति ईरानी के प्रचार का अंदाज बिल्कुल बदला हुआ है. अब स्मृति ईरानी नुक्कड़ सभाओं के मंचों से सवाल नहीं करती हैं, बल्कि अमेठी में अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यों का सिलसिलेवार ब्योरा देती हैं. ककवा ओवर ब्रिज से लेकर अमेठी बाईपास, तिलोई का मेडिकल कॉलेज, सैनिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय जैसे बड़े उपक्रमों के साथ ही जिले में किसान सम्मान निधि, राशन बिजली कनेक्शन, शौचालय आदि के लाभार्थियों का डेटा उन्हें मुंह जुबानी याद है, जिसे वह हर मंच से बताती हैं.

10 साल पहले जहां इक्का-दुक्का लोग ही उनसे परिचित थे, वही अब जिले के किसी भी मंच से सामने बैठे लोगों को वो नाम से पुकारती हैं. दादा तेजभान जैसे वरिष्ठ नेता 2014 के चुनाव में भी उनके साथ चलते थे और आज भी तमाम नुक्कड़ सभाओं और मंचों में उनके बगल ही बैठे रहते हैं. पहले की तरह ही पहुंचते ही पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती हैं. जिस प्रकार से 2014 और 2019 में गोविंद सिंह चौहान सभाओं का संचालन किया करते थे. उसी तरह से इस साल भी स्मृति ईरानी के आने से पहले वो माइक थामे रहते हैं. 2014 के रण में उनके साथ रहे गोविंद नारायण शुक्ला अब एमएलसी बन चुके हैं और प्रदेश में कामकाज देखते हैं, जबकि 2014 में जिलाध्यक्ष रहे दयाशंकर यादव, 2019 में जिला अध्यक्ष रहे दुर्गेश त्रिपाठी अभी भी उनकी कोर टीम में शामिल हैं.

अमेठी के व्यवसायी नेता व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरि के साथ ही तमाम अन्य लोग भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर उनके साथ दे रहे हैं. दिन भर में 5 से 10 गांव में पहुंचकर लोगों से मिलती-जुलती हैं. साथ ही उनके आवास पर भी अलग-अलग वर्ग और संगठन के लोगों का जमावड़ा देर रात तक चलता रहता है. ब्लॉक प्रमुख, मंत्री और विधायक सुरेश पासी जगदीशपुर क्षेत्र में उनके साथ-साथ रहते हैं. सलोन क्षेत्र में अशोक कोरी भी ऐसा ही करते हैं. स्मृति अपने बयानों में राम के साथ ही धर्म की बातों को मुखरता से रखती हैं, जबकि जनता से विपक्षी पार्टी की लंका लगाने की अपील भी करती हैं. इस दौरान वे पूरी तरह से आक्रामक नजर आती हैं. राहुल गांधी भले ही अमेठी के रण में इस बार नहीं हैं, लेकिन उनके निशाने पर राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ही रहते हैं. स्थानीय उम्मीदवार को लेकर वे कुछ नहीं कहती हैं. 2014 और 2019 की तुलना में उनकी टीम के सदस्यों में इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन अब वह ज्यादातर कार्य खुद निपटा लेती हैं.

Tags: Amethi news, Smriti Irani, Union Minister Smriti Irani



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article