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Friday, June 20, 2025

ओपन जिम परियोजना का 'साइलेंट पोस्टमार्टम',करोड़ पर कैसे लग गया पलीता

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Ground Report: आज नोएडा की 98% ओपन जिम्स की हालत बद से बदतर है. जिम इक्विपमेंट या तो पूरी तरह टूट चुके हैं, जंग खा गए हैं, या फिर पार्क से गायब हो चुके हैं. कुछ जगहों पर तो सिर्फ जिम का बोर्ड लटक रहा है. लोहे क…और पढ़ें

नोएडा प्राधिकरण ने करीब चार से पांच साल पहले एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत शहर के हर सेक्टर और गांव में करोड़ों रुपये खर्च कर ओपन जिम की शुरुआत की थी. इसका मकसद था कि लोगों को सुबह-शाम ताज़ी हवा में कसरत की सुविधा मिले. यह कदम सराहा भी गया.लेकिन, आज जब आप इन्हीं ओपन जिम्स की ग्राउंड हकीकत देखने निकलेंगे. नज़ारा देखकर माथा पीट लेंगे.

आज नोएडा की 98% ओपन जिम्स की हालत बद से बदतर है. जिम इक्विपमेंट या तो पूरी तरह टूट चुके हैं, जंग खा गए हैं, या फिर पार्क से गायब हो चुके हैं. कुछ जगहों पर तो सिर्फ जिम का बोर्ड लटक रहा है. लोहे के कबाड़ जैसे नीचे बिखरे पड़े हैं. कई जगह तो इक्यूपमेंट ही जड़ से गायब है.ओपन जिम में कई जगह लोगों के कपड़े सूखते नजर आए. ऐसी हालत नोएडा के सेक्टर और गांव की ओपन जिम की ज्यादातर यही हालात है.

पैसे फूंके, पसीना किसी ने नहीं बहाया
नोएडा प्राधिकरण ने हर सेक्टर और गांव में लाखों-लाख रुपये के जिम इक्विपमेंट्स लगाए.मगर प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही अधिकारी ऐसे गायब हुए जैसे शादी के बाद बारात! न मेंटेनेंस, न निरीक्षण और न कोई मॉनिटरिंग की गई. जिन निचले अधिकारियों पर देखरेख की ज़िम्मेदारी थी, उन्होंने इस योजना को फाइलों में दफन कर दिया.

निवासियों का फूटा गुस्सा
सेक्टर-15ए निवासी विक्रम सेठी जोकि लंबे समय से स्वास्थ्य और स्वच्छता पर काम कर रहे है ने बताया कि शुरुआत में लगा कि ये पहल लोगों की सेहत के लिए शानदार थी, लेकिन कुछ ही महीनों में ओपन जिम में लगे इक्यूपमेंट टूट गए और किसी ने सुध तक नहीं ली. लगता है, प्राधिकरण ने सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए ये जिम्स लगाए थे. इसी तरह गांव मामूरा, सलारपुर और बरौला में ओपन जिम्स की हालत किसी भूतिया खंडहर जैसी है. सेक्टर 15 नया बांस गांव की ओपन जिम के टूटे फूटे पड़े इक्यूपमेंट पर कपड़े सूखते मिले. कई जगह बच्चों ने इन मशीनों को झूले बना दिया है, और बाकी मशीनें या तो उखड़ चुकी हैं या चोरी हो गई हैं.

प्राधिकरण के आलाधिकारियों ने नहीं ली कोई सुध
प्राधिकरण से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शुरुआत में फंडिंग अच्छी थी, लेकिन बाद में मरम्मत और रखरखाव के बजट को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा.

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