नोएडा: सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल में मरीजों को दी जा रही एंटीबायोटिक दवा में गंभीर खामी पाई गई है. इंदौर की मॉडर्न लैब द्वारा सप्लाई की गई इस दवा का सैंपल लखनऊ की सेंट्रल लैब में फेल हो गया है. जिसके बाद अस्पताल ने तुरंत बचे हुए स्टॉक को सीज कर दिया है और वितरण पर रोक लगा दी गई है. यह दवा करीब डेढ़ महीने से मरीजों को दी जा रही थी, जिससे मरीजों की सेहत पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्या हैं कमियां?
खामी की बात करें तो इस “लो इम्पैक्ट” एंटीबायोटिक, एमोक्सिसिलिन और पोटैशियम क्लैवुलैनेट 625 एमजी की जांच में पोटैशियम क्लैवुलैनेट की मात्रा मानक 90% की जगह केवल 81% पाई गई. इससे दवा की प्रभावशीलता कम हो जाती है. हालांकि, अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि इस खामी से मरीजों को कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं होगा, परंतु दवा का असर कमजोर हो सकता है. मुख्य दवा, एमोक्सिसिलिन, 98% मानक पर सही पाई गई है.
दवा का स्टॉक और आगे की कार्रवाई
अस्पताल द्वारा लगभग 8000 टैबलेट मंगवाई गई थीं, जो अब रिपोर्ट के बाद सीज कर वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल के स्टोर से तीन दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिसमें यह एंटीबायोटिक भी शामिल थी. रिपोर्ट में खामी आने के बाद कंपनी के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
अस्पताल प्रशासन का बयान
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वे हमेशा यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि मरीजों को केवल प्रभावी और मानक दवाएं ही दी जाएं. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दवा की आपूर्ति करने वाली कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि मरीजों की सेहत से किसी भी तरह का समझौता न हो.
सीएमएस का बयान
जिला अस्पताल की सीएमएस डॉक्टर रेनू अग्रवाल ने बताया कि इस रिपोर्ट में क्लैवुलेनेट का प्रतिशत 81% है, जबकि यह आदर्श रूप से 90% होना चाहिए. इसलिए इसकी प्रभावशीलता थोड़ी कम है. अन्यथा कोई दुष्प्रभाव नहीं है. मुख्य दवा, अमोक्सिसिलिन, 98% है. लेकिन हम स्टॉक को वापस कर रहे हैं. क्लैवुलेनेट का कार्य प्रभावशीलता को बढ़ाना है. मुख्य दवा अमोक्सिसिलिन है, जो सामान्य है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 17:54 IST