महाराजगंज: उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला हमारे पड़ोसी देश नेपाल से लगा हुआ है. इसके साथ ही जिले का एक बड़ा हिस्सा सीमावर्ती क्षेत्र में आता है. यहां के ज्यादातर लोग कृषि या कृषि से जुड़े व्यवसाय में लगे हुए हैं. तराई क्षेत्र होने की वजह से यहां की जमीन भी काफी उपजाऊ मानी जाती है, जिसकी वजह से यहां के क्षेत्र में कृषि का व्यवसाय काफी फायदेमंद साबित होता है. कृषि के साथ-साथ यहां किसान पशुपालन और मछली पालन का भी व्यवसाय करते हैं. बहुत से लोग कृषि के साथ-साथ मछली पालन का काम करते हैं. जिनसे उन्हें आर्थिक रूप से बढ़िया मुनाफा होता है. मछली पालन एक फायदेमंद व्यवसाय है, जो मछली पालक को एक अच्छा प्रॉफिट देता है.
गंडक और रोहिणी नदियों में होगा मत्स्य पालन
वर्तमान समय में प्रशासन मछली पालन से जुड़े लोगों को अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से सुविधा उपलब्ध करा रहा है. विभिन्न योजनाओं में मछली पलकों को अनुदान भी दिया जाता है, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिलती है. इस बार प्रशासन की तरफ से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अलग तरह की पहल की गई है. जनपद में बहने वाली दो नदियों गंडक और रोहिणी में मत्स्य पालन की दृष्टि से ठेका दिया जाने वाला है. प्रशासन की तरफ से बहुत ही जल्द सर्वे किया जाना है और उसके बाद आगे की प्रक्रिया भी की जानी जानी है. इससे जिले में मत्स्य पालन के व्यवसाय को काफी फायदा मिलेगा और इसके साथ ही मत्स्य पालन का क्षेत्र भी बढ़ने वाला है.
आठ–आठ किलोमीटर में जाएगी नदियों की नीलामी
मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मछली पालन के लिए महराजगंज जिले से होकर बहने वाली दो नदियों रोहिणी और गंडक को पट्टा पर देने के लिए चिन्हित किया गया है. वर्तमान सरकार की ओर से मछली पालन के लिए नदियों को ठेके पर देने का आदेश जारी किया गया है. जिसके अंतर्गत रोहिणी और गंडक नदी को चिन्हित किया गया है. मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नदियों को ठेके पर दिया जाएगा. इसके तहत रोहिणी और गंडक नदियों की नीलामी आठ-आठ किलोमीटर तक की जानी है. इन दोनों नदियों का ठेका मत्स्य पालन समितियों को दिया जाना है.
FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 13:47 IST