-1.8 C
Munich
Monday, December 30, 2024

आपकी बेटी शादीशुदा तो दूसरी लड़कियों को क्यों बना रहे संन्यासी…; जब हाई कोर्ट ने जग्गी वासुदेव से पूछा ये सवाल

Must read



सदगुरु जग्गी वासुदेव ऐसी शख्सियत जिन्हें दुनियाभर में आध्यात्मिक गुरु के तौर पर पहचाना जाता है. जग्गी वासुदेव का भारत में तो रुतबा ही अलग लेवल का है, इसलिए उन्हें फॉलो करने वालों की तादाद भी काफी है. लेकिन इन दिनों जग्गी वासुदेव थोड़ा अलग वजह से सुर्खियां बटोर रहे हैं. दरअसल मद्रास हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि जब आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपनी बेटी की शादी कर ली है, तो वे अन्य युवतियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं.

जग्गी वासुदेव से कोर्ट का सवाल

न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति वी शिवगनम की बेचं ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक से यह सवाल तब पूछा जब एक रिटायर हो चुके प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि उनकी दो पढ़ी-लिखी बेटियों का ब्रेन वॉश कर उन्हें ईशा योग केंद्र में स्थायी रूप से रहने के लिए मजबूर किया गया है. एस कामराज, जो कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे. उन्होंने अपनी बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी.

सोमवार को अदालत में पेश हुईं 42 और 39 वर्षीय दो महिलाओं ने कहा कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं. महिलाओं ने एक दशक पुराने मामले में पहले भी इसी तरह की गवाही दी थी, जब उनके माता-पिता ने दावा किया था कि उनके माता-पिता द्वारा उन्हें “छोड़ दिए जाने” के बाद से उनका जीवन “नरक” बन गया है. हालांकि, जजों ने मामले की आगे जांच करने का फैसला किया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया.

ईशा फाउंडेशन का क्या दावा

जज शिवगनम ने कहा, “हम जानना चाहते हैं कि एक शख्स जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छा जीवन जी रही है, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांतवासी का जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है.” ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रहना चुनती हैं. उन्होंने कहा, “हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्तियों को अपने मार्ग चुनने की स्वतंत्रता और विवेक है. हम विवाह या संन्यासी बनने पर जोर नहीं देते, क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं. ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं जो संन्यासी नहीं हैं, साथ ही कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी बनने का निर्णय लिया है.” इसने यह भी कहा कि उसके पास केवल एक ही पुलिस मामला लंबित है, जबकि दूसरे मामले पर अदालत ने रोक लगा दी है.





Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article