लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत: लखनऊ को प्रभु श्री राम के अनुज लक्ष्मण की नगरी कहा जाता है. कहते हैं कि प्रभु श्री राम जब लंका पर जीत हासिल करके अयोध्या लौटे, तो वह अपने अनुज लक्ष्मण से इतना खुश हुए कि उन्होंने उनके पराक्रम को देखते हुए लखनऊ नगरी को उन्हें उपहार में दे दिया. पहले लखनऊ का नाम इसलिए लक्ष्मणपुर और लखनपुर था. लक्ष्मणपुर में एक बार फिर से त्रेता युग का एक ऐसा निशान मिला है.
असल में लखनऊ के अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में एक तालाब को देखकर हर कोई दंग रह गया है, जिस तालाब को लोग सूखा मैदान समझते थे, असल में वह तालाब कोई मैदान नहीं बल्कि त्रेता युग का पंपा सरोवर है. लगभग 50 लाख रुपए की लागत से इसे मंदिर प्रबंधन ने नया रंग रूप दे दिया है. अब इसके दर्शन पूजन और परिक्रमा के लिए भक्त बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
अरण्यकांड में है इसका जिक्र
मंदिर समिति के सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि पंपा सरोवर को पहले लोग बेहद बदहाल स्थिति में देखे थे. लेकिन, जब इस तालाब को लेकर रिसर्च की गई तो पता चला की राम चरित मानस के अरण्यकांड में 35 चौपाई 6 में इसका जिक्र है. जो कुछ यूं है ‘पंपा सरहि जाहु रघुराई। तहँ होइहि सुग्रीव मिताई॥सो सब कहिहि देव रघुबीरा। जानतहूँ पूछहु मतिधीरा॥6॥ ‘…. यहीं से इसके देखरेख की प्रक्रिया शुरू की गई.
ऐसे मांगी जाती है मन्नत
उन्होंने बताया कि क्योंकि इस मंदिर में मंगलवार को ज्यादा भीड़ होती है. इसलिए तालाब के पास भी मंगलवार को भीड़ अधिक देखने के लिए मिलती है. लोग यहां परिक्रमा और दर्शन पूजन करने आते हैं. इस तालाब के बारे में कहते हैं कि अगर कोई एक सिक्का डालकर अपनी कोई मन्नत मांगता है, तो वह पूरी हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 14:39 IST