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Kushinagar news today: सिविल सेवा की तैयारी के लिए सल्तनत परविन लखनऊ चली गईं और कड़ी मेहनत से उप जिलाधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचीं.
लखनऊ के हीरा कारोबारी ने हेलीकॉप्टर से लाई बारात ।
कुशीनगर: दूल्हा-दूल्हन से लेकर उनके मां-बाप और अन्य परिजन अपने बच्चों की शादी को यादगार बनाना चाहते हैं. इसके लिए लोग तमाम तरीके अपनाते हैं. यूपी के कुशीनगर के सेवरही विकासखण्ड के ग्राम सभा सलेमगढ़ में ऐसी ही एक शादी चर्चा का विषय बनी है. इस शादी में दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने के लिए किसी लग्जरी गाड़ी से नहीं बल्कि हेलीकॉप्टर से बारात लेकर पहुंचा है.
कुशीनगर में सेवरही विकास खंड के ग्राम सभा सलेमगढ़ की बेटी और महोबा की वर्तमान उप जिलाधिकारी (SDM) सल्तनत परविन की शादी ने पूरे जनपद ही नहीं बल्कि मंडल स्तर पर भी चर्चा बटोरी है. खास बात यह है कि दूल्हा अहमद रज़ा खान लखनऊ के मशहूर हीरा कारोबारी हैं और वह हेलीकॉप्टर से बारात लेकर सल्तनत के गांव पहुंचे हैं. गांव में पहली बार हेलीकॉप्टर से बारात पहुंची थी जिससे देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम होने वाला हो. गांव के ही मैदान में हेलीपैड का निर्माण किया गया था जहां सुरक्षा के लिए पुलिस के जवानों को लगाया गया.
सलेमगढ़ दर्जी टोला निवासी शमीम खांन की बेटी सल्तनत परविन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही प्राप्त की. आगे की पढ़ाई और सिविल सेवा की तैयारी के लिए वह लखनऊ चली गईं और कड़ी मेहनत के बल पर उप जिलाधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचीं. उनकी सफलता पर ग्रामीणों को गर्व था कि उनकी बेटी अफसर बन गई. शहर में रहने और अफसर बनने के बाद भी उन्होंने शादी शहरों की चमक दमक से दूर अपने पैतृक गांव में करने का फैसला लिया जिसके बाद पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. गांव में पली-बढ़ी सल्तनत ने जब ये बात अपने परिजनों और ससुराल पक्ष से साझा की तो सभी ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया.
नौ अप्रैल, बुधवार की शाम लगभग 5 बजे, बारात सलेमगढ़ शिव मंदिर के पीछे स्थित जूनियर हाईस्कूल के मैदान में उतरी. भारी संख्या में ग्रामीण, रिश्तेदार, अधिकारी और पुलिस बल वहां मौजूद थे. हेलीकॉप्टर और दूल्हे को देखने के लिए लोग उत्साह में आए और हेलीकॉप्टर से आई बारात आकर्षण का केंद्र बनी रही.
सल्तनत के दादा हनिफ खांन ने कहा, “यह सब खुदा का करम और हमारे ग्रामीणों का प्यार है. हम तो सिर्फ माध्यम हैं.” पिता नसीम खांन ने भावुक होते हुए कहा, “हमारी बेटी ने ऊंचा पद पाने के बाद भी अपने गांव और रिश्तों को सबसे ऊपर रखा है, यही हमारी असली दौलत है.” सल्तनत परविन की यह शादी न केवल एक निजी खुशी की बात है, बल्कि यह सामाजिक तौर पर भी एक संदेश देती है कि सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहना ही सच्चा सम्मान है.