मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर पहले प्रशासन और अब सरकार के आदेश पर बवाल मचा हुआ है. योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुक्रवार को आदेश जारी किया कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम लिखने होंगे. ये आदेश पूरे प्रदेश में लागू होगा, हालांकि इससे पहले मुजफ्फरनगर प्रशासन ने जिला के लिए ऐसा आदेश जारी कर चुकी थी. सीएम योगी के नक्शे कदम पर चलते हुए उत्तराखंड के धामी सरकार ने इस तरह के नियम लागू कर दिए हैं.
मुजफ्फरनगर प्रशासन के आदेश में, कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों, ढाबों और सड़क किनारे स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम, पते और मोबाइल फोन नंबर प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था. एसएसपी अभिषेक सिंह ने संवदताओं से बात करते हुए बताया, ‘आदेश यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा न हो. सभी स्वेच्छा से इसका पालन कर रहे हैं.’
सरकार पर विफरा विपक्ष
इस आदेश की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है, उनका कहना है कि यह मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाता है. न्यूज़18 की टीम ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित कुछ प्रमुख ढाबों का दौरा किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ढाबे के मालिकों और कर्मचारियों की इस आदेश के प्रति क्या प्रतिक्रिया है. हमारा पहला पड़ाव मुजफ्फरनगर-हरिद्वार हाईवे पर स्थित ‘दिल्ली ढाबा’ था. ढाबे के मालिक ने बताया कि उन्होंने न केवल मालिक का नाम प्रदर्शित किया था, बल्कि वहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों के नाम और उनके फोन नंबर भी प्रदर्शित किए थे. प्रदर्शित किए गए सभी नाम हिंदुओं के हैं.
मुस्लिम स्टाफ को हटाने पर क्या बोले?
न्यूज़18 के टीम का दूसरा पड़ाव ‘शिव टूरिस्ट ढाबा’ था. ढाबे पर काम करने वाले सभी कर्मचारी हिंदू थे. जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई मुस्लिम वर्कर भी यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने ढाबे पर किसी मुस्लिम को काम पर रखा था, मालिक ने बताया कि चार मुस्लिम स्टाफ काम करते थे, लेकिन उन्हें या तो छुट्टी पर भेज दिया गया या नौकरी से निकाल दिया गया. उनको प्रशासन/पुलिस ने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया था, हालांकि पुलिस ऐसी किसी भी बात से इंकार कर रही है.
मुस्लिम मालिक ने क्या कहा?
न्यूज18 का अगला ‘वीर जी दा ढाबा’ था. इसके मुस्लिम मालिक इबरार हैं. उन्होंने निर्देश पर खुश जताया. उनका मानना है कि यह ग्राहकों पर निर्भर करता है कि वे कहां खाना चाहते हैं और कहां नहीं. उनके ढाबे में सात मुस्लिम और नौ हिंदू काम करते हैं. उन्होंने न्यूज़18 को बताया, ‘मैं कुछ दिनों के लिए ढाबा बंद कर दूंगा और छुट्टी पर चला जाऊंगा क्योंकि अभी व्यापार मंदा ही रहने वाला है.’
कांवड़ यात्रियों ने क्या कहा?
जब कांवड़ यात्रियों से बात की गई तो किसी ने सरकार के आदेश से खुशी जाहिर की तो किसी को इससे फर्क नहीं पड़ता है. ज्यादातर यात्रियों ने कहा कि वे इस फैसले से खुश हैं जबकि कुछ अन्य ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां खाते हैं क्योंकि भक्ति सबसे पहले आती है, हालांकि, एक मुद्दा जिस पर सभी ने कहा कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए, वह है यात्रा के मौसम में ढाबा मालिकों द्वारा कथित तौर पर कीमतों में की जाने वाली वृद्धि.
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FIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 12:30 IST