मुंबई. न्यूजीलैंड से ऐतिहासिक हार के बाद भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ कोच गौतम गंभीर भी निशाने पर हैं. उन्हें मिले सुपरपावर्स पर लोग सवाल उठा रहे हैं. इस बीच 1983 की विश्व चैंपियन टीम के सदस्य रहे संदीप पाटिल ने बताया कि कोच कैसा होना चाहिए. संदीप पाटिल का मानना है कि जॉन राइट भारतीय कोच के रूप में इसलिए सफल रहे क्योंकि उन्होंने खिलाड़ियों को खुली छूट दी जबकि ग्रेग चैपल और अनिल कुंबले ऐसा करने में असफल रहे.
चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष संदीप पाटिल की आत्मकथा ‘बियॉन्ड बाउंड्रीज’ का बुधवार को विमोचन किया गया. संदीप पाटिल ने उथल-पुथल वाले चैपल युग को करीब से देखा है क्योंकि वह उन दिनों भारत ए के तत्कालीन कोच के रूप में चयन और बोर्ड बैठकों में भाग लेते थे.
रोहित के विकल्प की तलाश शुरू, BCCI ने बदला प्लान, दिग्गज की दोबारा हो सकती है एंट्री, कप्तानी का दावेदार भी
डिविलियर्स ने चुनी RCB की टीम, 4 बॉलर्स को बताया बेहद जरूरी, क्या कोहली को होगा मंजूर?
संदीप पाटिल ने लिखा है, ‘भारत में 2000 के बाद विदेशी कोच और सहायक स्टाफ रखने का चलन शुरू हुआ. इससे काफी लाभ हुआ, क्योंकि भारत का विदेशी रिकॉर्ड लगातार बेहतर हुआ है. यह सब जॉन राइट के भारत के पहले विदेशी कोच बनने के साथ शुरू हुआ.’ उन्होंने लिखा है, ‘मुझे लगता है कि जॉन भारत के लिए आदर्श कोच थे. वह मृदुभाषी, विनम्र, अच्छे व्यवहार वाले थ. हमेशा अपने तक सीमित रहते थे और सौरव गांगुली के साये में रहकर खुश थे. वे शायद ही कभी खबरों में रहे. ग्रेग चैपल इसके विपरीत थे. वे हर दिन खबरों में रहते थे.’
संदीप पाटिल का मानना है कि जॉन राइट के लिए प्रत्येक खिलाड़ी बराबर था और उनके लिए टीम सर्वोपरि थी. उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है, ‘राइट के कार्यकाल के दौरान सीनियर या जूनियर जैसा कोई मामला नहीं था. यह एक टीम थी. उनका मानना था कि सभी सीनियर खिलाड़ी किसी न किसी तरह से नेतृत्वकर्ता हैं. उन्होंने उन्हें सम्मान दिया और खुली छूट दी. मुझे लगता है कि अनिल कुंबले ऐसा नहीं कर पाए और ग्रेग चैपल भी.’ (इनपुट भाषा)
Tags: Gautam gambhir, Sandeep Patil, Team india
FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 18:20 IST