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Saturday, June 29, 2024

औषधीय गुणों से भरपूर है कटहल,शुगर मरीजों में बढ़ी उपयोगिता,पढ़ें ये खबर

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दरभंगा. कटहल हम सब खाते हैं. लेकिन इसके गुणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं. ये फल और सब्जी दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है. कटहल के नमकीन भी बनते हैं. कटहल डायबिटीज को काबू करने में मददगार होता है.

कटहल गर्म जलवायु में होने वाला फल है. ये मूल रूप से भारत की उपज है. यह पेड़ पर उगने वाला सबसे बड़ा फल है. इसका एक विशिष्ट स्वाद और बनावट है. कृषि वैज्ञानिक प्रो सिंह इसके बारे में बताते हैं कटहल के अंदर डायबिटीज रोग रोकने की क्षमता है. बहुत तेजी से लोग कटहल के प्रोडक्ट का उपयोग डायबिटीज रोकने के लिए कर रहे हैं. हम कह सकते हैं आने वाले समय में कटहल की मांग कई गुना बढ़ने वाली है. इसलिए मानसून के मौसम में अवश्य कटहल लगाए.कटहल 25-35°C (77-95°F) की तापमान में पनपता है. इसके लिए साल में1500-2500 मिमी बारिश चाहिए पड़ती है. इसे तटीय क्षेत्रों, मैदानों और पहाड़ी क्षेत्रों सहित विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाया जा सकता है.

प्रमुख कटहल उत्पादक राज्य
भारत में केरल कटहल का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश,बिहार और पश्चिम बंगाल हैं. इन राज्यों में जलवायु परिस्थितियां कटहल की खेती के लिए मददगार हैं. कटहल के पेड़ों के लिए ऐसी मिट्टी जरूरी है जिससे पानी अच्छी तरह से निकल जाए. आमतौर पर मानसून के मौसम में इसकी रौंपाई की जाती है. इसके पेड़ों को नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है, खासकर गर्मी के दौरान.

कटहल की कई वैरायटी
कटहल का पेड़ बीज से तैयार किया जाता है इसलिए इसमें प्रचुर जैव विविधता होती है. अभी तक कटहल की कोई मानक प्रजाति तैयार नहीं की गयी है. कई शोध केन्द्रों ने कटहल की उन्नतशील प्रजातियाँ विकसित कर ली हैं. खजवा, स्वर्ण मनोहर, स्वर्ण पूर्ति (सब्जी के लिए),एन.जे.-1, एन.जे.-2, एन.जे.-15 एवं एन.जे.-3, मत्तमवक्का कटहल की प्रजातियां हैं.

कटहल की किस्में
खजवा – इस किस्म के फल जल्दी पक जाते हैं, ताजे पके फलों के लिए एक उपयुक्त किस्म है.

स्वर्ण मनोहर – छोटे आकार के पेड़ में बड़े-बड़े और अधिक संख्या में फल देने वाली यह एक उम्दा किस्म हैं. इस किस्म में फरवरी के पहले सप्ताह में फल लग जाते हैं. इन फलों को तभी बेचा जा सकता है जब वो छोटे होते हैं. इनसे अच्छी आमदनी होती है.

स्वर्ण पूर्ति – यह सब्जी के लिए एक उपयुक्त किस्म है. इसका फल छोटा (3-4 कि.ग्रा.) का और रंग गहरा हरा होता है. इसमें रेशा कम, बीज छोटा और कवर पतला होता है. इसके बीच का भाग मुलायम होता है. इस किस्म में फल देर से पकता है. इसलिए लंबे समय तक इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जा सकता है.

(Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Darbhanga news, Healthy food, Local18



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