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Sunday, January 12, 2025

2004 में सौरव गांगुली, 2025 में रोहित शर्मा में छोड़ा मैदान, हारा हिंदुस्तान

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सिडनी . जिस बाइस गज की पिच पर हार जीत का फ़ैसला होता है उसके मिज़ाज को समझना किसी भी कप्तान के लिए बहुत ज़रूरी होता है . जो पिच की पहेली को जितनी जल्दी सुलझा लेता है वो उतना ही बड़ा कप्तान बन जाता है . यानि पिच को समझकर क्या करना है उसका फ़ैसला मैच के रुख़ को निर्धारित करता है. पर भारतीय क्रिकेट में एक घटना ऐसी भी हुई जिसने कप्तान के भविष्य को आगे तय किया और बीस साल बाद अब सिडनी में कप्तान ने क्या वहीं किया
ये हर किसी के ज़ेहन में बड़ा सवाल है .

2004 और 2025 के भारतीय कप्तानों में एक बात कॉमन है कि दोनों ने मैच खेलने से मना कर दिया . 2004 में सौरव गांगुली और 2025 में रोहित शर्मा ने बस फर्क इतना है कि एक ने फिटनेस को इश्यू बनाया तो दूसरे ने फॉर्म को.. पर जानकार मानते हैं कि सौरव गांगुली और रोहित शर्मा दोनों को पिच समझ में आ गई थी.

2004 में सौरव 2025 में शर्मा जी !

कहानी 2025 से शुरु करते हैं जब सिडनी में प्रैक्टिस सेशन में कप्तान पिच पार जाते है ख़ुशी ख़ुशी और जब ड्रेसिंग रूम की तरफ़ लौटते हैं तो उनके मन में कई सवाल होते हैं . वो चुपचाप अपने आपको प्रैक्टिस सेशन से अलग करते हैं और ख़राब फॉर्म के नाम पर ख़ुद को ड्राप कर लेते हैं . सूत्रों की मानें तो रोहित ने पिच को पहली नज़र में पढ़ लिया था और उनको पता लग गया था कि यहाँ रन बनाना किसी आग के दरिया के पार करने से कम नहीं . अब स्कोर देखें तो साफ़ हो जाता कि रोहित एक और ख़राब टेस्ट अपने रिकॉर्ड में नहीं जोड़ना चाहते थे . भारतीय पहली पारी 185 और दूसरी पारी 157 रन पर सिमटी . ढाई दिन में टेस्ट मैच ख़त्म हो गया .
अब इसी तरह की दूसरी कहानी पर आते हैं जो साल 2004 में नागपुर में घटी . भारत और आस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की सीरीज का तीयरा टेस्ट खेलने नागपुर पहुंची . सीरीज का पहला टेस्ट जीतकर ऑस्ट्रेलिया 0-1 से आगे था . नागपुर पहुंचते ही जब भारतीय टीॉ प्रैक्टिस के लिए मैदान पर पहुंची तो पिच पर हरियाली देखकर कप्तान सौरव गुस्से से लाल पीला हो गए . आनन फानन में बोर्ड हरकत में आया पर समस्या ये थी कि तब बीसीसीआई ओर विदर्भ क्रिकेट संघ में तनातनी थी तो पिच नहीं बदली गई . तब कप्तान सौरव पिच पर घास और मैकग्रा , गिलेस्पी और कॉस्प्रोविज की गेंदबाज़ी को ध्यान में रखते हुए मैच ना खेलने का फ़ैसला किया और बयान दिया कि वो हैमस्ट्रिंग इंजरी की वजह से मैच नहीं खेलेगें . तब भी भारतीय टीम मैच तीन दिन में हार गई और सौरव के ना खेलने पर ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने उनका जमकर मजाक उड़ाया था .

कप्तान का मैदान छोड़ना कितना सहीं ?

2004 में जैसे कप्तान सौरव गांगुली का फिटनेस की वजह देकर मैच ना खेलना हमेशा सवालों के घेरे में रहा वैसे ही रोहित शर्मा का फॉर्म का हवाला देखकर मैच ना खेलना हमेशा याद रखा जाएगा . दोनों बार सामने ऑस्ट्रेलिया थी जो आपको वैसे भी ना जाने कितने साल आपका मजाक उड़ाती रहेगी . जैसे रणभूमि में बिना सेनापति के युद्ध नहीं जीता जा सकता वैसे ही रनभूमि पर भी बिना कप्तान के मैच नहीं जीता जा सकता . पार्ट टाइम कप्तान से आप फुल टाइम लीडर जैसे काम की उम्मीद नहीं कर सकते . इसीलिए जानकार मानते हैं कि कप्तान चाहे आउट आफ फॉर्म हो या वो 100%फिट ना हो उसका मैदान पर रहना ही सामने वाले पर दबाव बनाए रखता है . 2004 और 2024 की भारत ऑस्ट्रेलिया सीरीज इस लिए भी याद रखी जाएगी कि बीच सीरीज में कप्तान नहीं खेले और सीरीज मेहमान ले उड़े.

Tags: Border Gavaskar Trophy, India vs Australia, Rohit sharma, Saurav ganguly, Sydney Test



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