4.2 C
Munich
Friday, November 15, 2024

रोहित को हार मंजूर, गंभीर को WTC की चिंता नहीं… टीम इंडिया में चल क्या रहा है? कहीं दिशा भटक तो नहीं…

Must read


नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम इतिहास का सबसे शर्मनाक खेल दिखाने के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है. न्यूजीलैंड ने दिवाली पर टीम इंडिया की सफेद धुलाई कर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कई क्रिकेटरों के करियर तक सवालों में हैं. ऑस्ट्रेलिया दौरा कई क्रिकेटरों का भविष्य तय कर सकता है. खासकर कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और कोच गौतम गंभीर का. रोहित का हार अलाउड है… और गंभीर का डब्ल्यूटीसी के बारे में नहीं सोच रहा… जैसे बयान अब अगर दोबारा दिखें तो समझ लीजिएगा कि टीम इंडिया की गाड़ी पटरी से उतर गई है.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 22 नवंबर से टेस्ट सीरीज शुरू हो रही है. यह ऐसी सीरीज है, जिसका हर क्रिकेटप्रेमी इंतजार करता है. पिछले 20-25 साल में भारतीय फैंस को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से ज्यादा रोमांच शायद ही किसी क्रिकेट सीरीज में मिला हो. इस बार भी रोमांचक मुकाबले की उम्मीद है. दोनों ही टीमें ऐतिहासिक हार के बाद आमने-सामने आने वाली हैं. भारतीय टेस्ट टीम न्यूजीलैंड से 0-3 से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंची है. ऑस्ट्रेलिया को भी पाकिस्तान ने वनडे सीरीज में 2-1 से धुन दिया.

क्रिकेट आंकड़ों का नहीं, भरोसे का खेल
लेकिन यह सब तो आंकड़े हैं. क्रिकेटप्रेमी बखूबी जानते हैं कि क्रिकेट आंकड़ों से ज्यादा भरोसे का खेल है. अप्रोच का खेल है, जिसमें भारतीय टीम पिछले दिनों नकारात्मक नजर आई है. वरना कौन कप्तान है जो इतिहास का सबसे खराब खेल दिखाने के बाद कहता है कि इतना तो अलाउड होना चाहिए. रोहित शर्मा ने न्यूजीलैंड से सीरीज हारने के बाद पुणे में यह बात कही थी. रोहित की बॉडी लैंग्वेज और इस जवाब का बारीकी से अध्ययन करें तो लगता है कि उन्हें बिलकुल अंदाजा नहीं था कि टीम इंडिया हार भी सकती है. ओवर-कॉन्फीडेंस… जाहिर है जब हार का अंदाजा नहीं था तो हारने के बाद जवाब क्या देना है, इसकी भी तैयारी नहीं थी. और अगर ऐसा ही था तो यह टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं है. भारत का कप्तान आखिर इतना लापरवाह कैसे हो सकता है.

अति आत्मविश्वास बिगाड़ रहा खेल
कोच गौतम गंभीर ने जब ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उनका लहजा भी रोहित जैसा ही था. जैसे बस प्रेस कॉन्फ्रेंस की औपचारिकता पूरी करनी हो. वरना कोई कोच, डब्ल्यूटीसी के सवाल पर यह कैसे कह सकता है कि वे इस बारे में नहीं सोच रहे हैं. अब कोच का काम खेलना तो है नहीं. उसका काम ही है सोचना, स्ट्रेटजी बनाना. लेकिन वही अति आत्मविश्वास वाला अंदाज या यह कि मुझे पता है क्या करना है, आप लोगों से मतलब…

सवालों को गंभीरता से नहीं लेते
जब से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप शुरू हुई है तब से दुनिया को इस फॉर्मेट में भी चैंपियन मिलने लगा है. भारत दो बार डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचा, पर खिताब नहीं जीत पाया. एक बार विराट कोहली और दूसरी बार रोहित शर्मा की कप्तानी में हार मिली. ऐसे में टीम इंडिया लगातार तीसरी बार डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचना चाहेगी. इसका रास्ता ऑस्ट्रेलिया में बड़ी जीत से होकर जाता है. कोच गंभीर अगर पत्रकारों के सवालों को गंभीरता से ले रहे होते तो उनके लिए जवाब मुश्किल नहीं था. वे कह सकते थे कि भारतीय टीम सीरीज जीतने के लिए पूरी ताकत लगाएगी, जिससे डब्ल्यूटीसी फाइनल का रास्ता आसान हो जाए.

गंभीर नहीं, रोहित को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भेजो
कोच गंभीर के यही लापरवाह बयान शायद संजय मांजरेकर को पसंद नहीं आए. मांजरेकर ने तो ट्वीट कर यह तक कह दिया कि बीसीसीआई को गंभीर की बजाय रोहित शर्मा और अजित आगरकर को प्रेस कान्फ्रेंस के लिए भेजना चाहिए. उनके (गंभीर) के पास उनसे बात करने के लिए सही शब्द या लहजा नहीं है.

जीत की हैट्रिक बनाने का मौका
अगर कप्तान और कोच ऐसे आत्मविश्वास के शिकार हो जाएं तो यह किसी भी टीम के लिए अच्छा नहीं हो सकता. उम्मीद है कि भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और कोच गौतम गंभीर के साथ ऐसा नहीं होगा. भारत के पास ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने की हैट्रिक बनाने का सुनहरा मौका है. फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि भारत यह सीरीज जीतेगा, जिससे न्यूजीलैंड से हार की कड़वी यादें कम हो सकें.

Tags: Gautam gambhir, India vs Australia, Indian Cricket Team, Rohit sharma, Team india



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article