नई दिल्ली:
इनकम टैक्स (Income Tax) से बचने के लिए बहुत-से लोग अलग-अलग तरीके इस्तेमाल करते हैं. कुछ लोग ऐसी योजनाओं में निवेश करते हैं, जिनमें टैक्स में छूट मिलती है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इनकम टैक्स से बचने के लिए HRA Exemption हासिल करने की खातिर रेंट रिसीट (किराये की रसीद) लगाते हैं.
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नियमों के तहत रेंट रिसीट लगाने पर भी टैक्स में कुछ हद तक छूट मिलती है. इस नियम का कुछ लोग गलत तरीके से भी इस्तेमाल करते हैं, और इनकम टैक्स से बचने के लिए या उसे कम करने के लिए किराये के मकान की फर्जी रसीद लगाते हैं. लेकिन वे नहीं जानते कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी ऐसे लोगों पर नजर रखता है और कार्रवाई भी कर सकता है.
एआई टूल की मदद
अब इनकम टैक्स विभाग फर्जी रसीद लगाकर टैक्स में छूट लेने वालों से निपटने के लिए एआई, यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का इस्तेमाल कर रहा है, जिसके ज़रिय़े फॉर्म में दिए हुए डिटेल पैन कार्ड से जुड़े ट्रांजेक्शन को मिलाया जाता है.
आपको बता दें कि एक लाख रुपये से ज्यादा रेंट की रसीद लगाएंगे तो इनकम टैक्स विभाग मकान मालिक का पैन कार्ड नंबर भी मांगेगा. इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मिलान किया जाएगा कि जो क्लेम किरायेदार ने रसीद लगाकर किया है, वह क्लेम अमाउंट ओनर के पैन कार्ड पर भी शो हो रहा है या नहीं.
यह मिलेगी सजा
जो लोग इनकम टैक्स की नजर में दोषी पाए जाएंगे, यानी जब मकान मालिक और किरायेदार दोनों के दस्तावेजों से स्पष्ट हो जाएगा कि किरायेदार जितना क्लेम कर रहा है, उतना किराया नहीं दिया है या किराया दिया ही नहीं है, तब इनकम टैक्स विभाग एक्शन ले सकता है. जिसके तहत फर्जी रेंट की रसीद लगाने वालों को नोटिस दिया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे जरूरी भूमिका होगी फॉर्म 26AS और AIS की.