आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों द्वारा 10 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। इनमें से एक को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। सूरत नगर निगम की जगह पर पार्किंग चलाने वाले से कॉन्ट्रैक्ट रद्द ना करने के लिए रकम मांगी गई थी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत इन दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से आरोपी विपुल सुहागिया को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसका सहयोगी जितेंद्र कछाड़िया अभी गिरफ्त से बाहर है। एसीबी के एसपी जीवी पधेरिया ने बताया कि जितेंद्र का पता लगाया जा रहा है।
एसीबी ने बताया कि सूरत के नागरिक निकाय ने टाउन प्लानिंग के तहत मल्टी लेवल पार्किंग सुविधा बनाई है। इसके लिए शिकायतकर्ता को पार्किंग की सुविधा देने के लिए ठेका दिया गया था। निगम ने पार्किंग सुविधा के बगल में सब्जी बाजार के लिए भी जगह मुहैया कराई थी। आप के दो पार्षद इलाके में आए और कॉन्ट्रेक्टर पर सब्जी बाजार पर वाली जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया। इसके लिए पुलिस से शिकायत करने और कॉन्ट्रेक्ट को रद्द करने की धमकी भी दी।
कॉन्ट्रेक्टर को इस विषय में जबरन धमकाते हुए माफीनामा लिखने को कहा। कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं करने के लिए रिश्वत में 11 लाख रुपए भी देने के लिए कहा गया है। एसीबी ने बताया कि पार्षदों ने फोन के जरिए रिश्वत की बात की। इसके लिए 10 लाख की रकम निर्धारित की गई। पार्षदों ने फोन से बातचीत के दौरान पैसे के लिए डाक्यूमेंट शब्द का इस्तेमाल किया। मगर कॉन्ट्रैक्टर ने इस बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया। एसीबी के पास कॉल रिकॉर्डिंग लेकर गए। उन्होंने इसी आधार पर प्राथमिक जांच शुरू की।
इसके बाद जांच में आरोपी ने कबूला कि डाक्यूमेंट शब्द पैसे के लिए इस्तेमाल किया गया था। बाद में फोरेंसिंक साइंस ने जांच में पाया कि कॉन्ट्रैक्टर द्वारा जमा की गई सीडी में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। कॉल रिकॉर्डिंग भी इस बात की पुष्टि करती है कि पार्षदों ने रिश्वत मांगी थी। इसलिए इस जांच के आधार पर दोनों पार्षदों के खिलाफ 10 लाख रुपए रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज की गई।