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Saturday, September 14, 2024

विस्थापित कश्मीरी मतदातों के लिए बनाई गई हेल्पडेस्क, विधानसभा चुनाव में मिलेगी मदद

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एक दशक बाद होने जा रहे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए सरकार कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी सिलसिले में राहत और पुनर्वास विभाग ने देश भर में रहने वाले विस्थापित कश्मीरी समुदाय के योग्य मतदाताओं की मदद करने के लिए एक हेल्पडेस्क को बनाया है। इस पहल का उद्देश्य विशेष या संबंधित मतदान केंद्रों पर और डाक पत्रों के माध्यम से वोटिंग सही ढंग से हो सके। विभाग के अधिकारियों ने इस सिलसिले में कहा कि विभाग ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। हम कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते। इसके अलावा चुनाव आयोग ने जम्मू, उधमपुर और दिल्ली में विस्थापित मतदाताओं के लिए 24 विशेष मतदान केंद्र और एक डाक मतपत्र योजना की शुरुआत की है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए राहत एवं पुर्नवास आयुक्त करवानी ने बताया कि हमनें कई क्षेत्रों में एक हेल्पडेस्क बनाया है। यह उन कश्मीरियों की मदद के लिए है, जो अपनी जमीन से दूर हैं। इस पहल का फायदा यह होगा की सभी कश्मीरी अपने नेताओं को चुन पाएंगें और इससे वोटिंग प्रतिशत में भी फायदा होगा। अधिकारी ने बताया कि हेल्पडेस्क शुरू कर दी गई है यह 18 सितंबर से शुरू हो रहे विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सुविधाओं में सुधार के लिए अपना योगदान दे रही है।

करवानी ने बताया कि जो भी मतदाता ईवीएम के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से मतदान करने की इच्छा रखने वाले कश्मीरी प्रवासियों के लिए हमने 24 मतदान केंद्रों की व्यवस्था की है, जिसमें जम्मू में 19, उधमपुर में 1 और दिल्ली में 4 बनाए गए हैं। हम सभी कश्मीरवासियों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि सभी मतदान केंद्रों पर भारतीय चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुरूप सुविधाएं रखीं गई हैं।

जम्मू-कश्मीर में एक दशक के बाद यह विधानसभा चुनाव हो रहा है इस बीच घाटी में बहुत कुछ बदल गया है। आर्टिकल 370 और 35ए के प्रभाव को कम कर दिया गया है तो वहीं एक नए परीसीमन से सीटों में भी फेरबदल हुआ है। विधानसभा की 90 सीटों के लिए होने वाला यह चुनाव 3 चरणों में पूरा होगा। 4 अक्तूबर को मतगणना के साथ ही यह फैसला हो जाएगा कि अगले 5 साल तक कश्मीर में कौनसी पार्टी अपनी सरकार बनाएगी। लगभग सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना शुरू कर दिया है। एनसी जहां इसबार कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में है तो वहीं भाजपा कुछ छोटी राजनैतिक पार्टियों के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए अपनी कमर कस चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी इस बार अपनी बेटी के साथ चुनावी मैदान में उतरने वाली है।



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