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Saturday, July 6, 2024

शरीर पर सफेद धब्बे इस बीमारी का संकेत ! डॉक्टर बोले- इस उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा

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All About Vitiligo Disease: कई बार स्किन पर सफेद धब्बे हो जाते हैं, लेकिन लोग इन पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्हें लगता है कि ये धब्बे अपने आप ठीक हो जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे यह परेशानी बढ़ने लगती है. अगर किसी व्यक्ति के हाथ-पैरों पर सफेद धब्बे हो रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं, तो यह स्किन डिजीज विटिलिगो का संकेत हो सकता है. इस कंडीशन में लोगों को तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए. वक्त रहते विटिलिगो को कंट्रोल कर लिया जाए, तो इसे पूरे शरीर पर फैलने से रोका जा सकता है. आज एक्सपर्ट से विटिलिगो के बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं.

दिल्ली के फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल के नियोनेटोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर डॉ. रघुराम मलैया ने News18 को बताया कि विटिलिगो स्किन की एक बीमारी है, जिसकी वजह से लोगों के शरीर पर सफेद धब्बे हो जाते हैं. इन्हें मेडिकल की भाषा में हाइपर पिग्मेंटेड स्पॉट कहा जाता है. हमारी स्किन में मेलानोसाइट्स नामक एक पिगमेंट होता है, जो इस बीमारी के कारण धब्बों में चला जाता है और इसकी वजह से वहां स्किन सफेद दिखाई देने लगती है. यह ऑटोइम्यून डिजीज होती है, जो आमतौर पर जन्म के कुछ साल बाद हो सकती है. अधिकतर केस में यह बीमारी 20-30 साल की उम्र तक हो जाती है.

डॉक्टर रघुराम मलैया ने बताया कि विटिलिगो की वजह से स्किन पर सफेद धब्बे हो जाते हैं, लेकिन ये धब्बे किसी अन्य परेशानी का कारण नहीं बनते हैं. विटिलिगो ऑटोइम्यून डिजीज है और इसके सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है. आमतौर पर विटिलिगो की वजह से लोगों के हाथों और पैरों पर सफेद धब्बे होते हैं, लेकिन कभी-कभी चेहरे पर भी हो जाते हैं. बहुत गंभीर मामले में यह बीमारी पूरे शरीर में भी फैल सकती है. बहुत कम ही कुछ लोगों में जेनेटिक वजहों से इस बीमारी का खतरा होता है, लेकिन फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों को इस बीमारी को लेकर सावधान रहना चाहिए.

एक्सपर्ट का कहना है कि विटिलिगो अपने आप में खतरनाक बीमारी नहीं है और इसके मरीज बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकते हैं. हालांकि विटिलिगो के लक्षण दिखने पर लोगों को डॉक्टर से संपर्क कर जांच करानी चाहिए. डर्मेटोलॉजिस्ट जांच के बाद विटिलिगो की क्रीम और दवाएं दे सकते हैं. बेहद गंभीर मामलों में विटिलिगो के ऑटोइम्यून प्रभाव को कम करने के लिए स्टेरॉयड का उपयोग किया जा सकता है और कभी-कभी लोग इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवा का भी उपयोग कर सकते हैं. हालांकि हर मरीज की कंडीशन के अनुसार इलाज किया जाता है.

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Tags: Health, Lifestyle, Trending news



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