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Wednesday, July 3, 2024

MBBS, MS, MD, FRCP का क्या होता है मतलब, डॉक्टरों की इन डिग्रियों में किन-किन बीमारियों की होती है पढ़ाई, विस्तार से जानें

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Meaning of Doctor’s Degree: एक डॉक्टर की पर्ची पर लिखा है-MBBS, MD, DM (Cardiology), FRCP. क्या आपने कभी इस शब्द का मतलब जानने की कोशिश की है. आमतौर पर अधिकांश लोग इसका मतलब जानने की कोशिश नहीं करते. लेकिन अंग्रेजी के इस लेटर में डॉक्टरों की पूरी पढ़ाई-लिखाई और स्पेशिएलिटी छिपी होती है. हालांकि कुछ डॉक्टर इतने फेलोशिप या एक महीने के कोर्स को भी विस्तार से लिख देते हैं जिनका कुछ खास मतलब नहीं होता. लेकिन मुख्य रूप से एमबीबीएस के बाद अगर कोई डॉक्टर दो-तीन डिग्रियां ले लेते हैं तो वह अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर बन जाते हैं. सरकार ने पोस्टग्रेजुएशन यानी MS और MD के बाद स्पेशिएलिटी और सुपर स्पेशिएलिटी में कोर्स की सुविधा दी है. इससे डॉक्टरों की डिग्री में छिपे इन लेटर के क्या मतलब होते हैं, इसी विषय को लेकर हमने सीके विड़ला अस्पताल, गुड़गांव में इंटरनल मेडिसीन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. तुषार तायल से बात की.

MBBS के बाद MS या MD

डॉ. तुषार तायल ने बताया कि एलोपैथिक डॉक्टरों की पढ़ाई के लिए सबसे पहले MBBS हर किसी को करना पड़ता है. इसका मतलब Bachelor of Medicine, Bachelor of Surgery होता है. इसकी पढ़ाई साढ़े चार साल तक करनी पड़ती है. यह अंडर ग्रेजुएट के समकक्ष है. इसमें मेडिकल क्षेत्र की सभी जानकारियां और प्राथमिक उपचार से संबंधित सभी तरह की पढ़ाई होती है. इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होती है. कुछ साल पहले तक एमबीबीएस के बाद मुख्य रूप से दो ही हायर स्पेशलाइज कोर्स होते थे. नॉन-सर्जिकल बीमारियों के लिए MD की पढ़ाई की जाती थी यानी मास्टर ऑफ मेडिसीन. इसके अलावा जो डॉक्टर सर्जन बनना चाहते थे वे MS यानी मास्टर ऑफ सर्जरी करते थे. एमडी में स्पेशलाइजेशन कोर्स की सुविधा है. यानी बॉडी के किसी पार्ट के लिए अलग-अलग पढ़ाई होती है. जैसे अगर किसी को हार्ट से संबंधित बीमारियों का इलाज करना है तो उन्हें एमडी कार्डियलॉजिस्ट कहा जाता था. इसके अलावा सर्जरी की स्पेशलाइजेशन को MS की पढ़ाई की जाती थी यानी मास्टर ऑफ सर्जरी. कुछ साल पहले तक यही दोनों डिग्री सबसे बड़ी डिग्री मानी जाती थी.

MD के समकक्ष DNB

डॉ. तुषार तायल ने बताया कि समय के साथ हमारे देश में भी हर खास बीमारी के लिए अलग-अलग स्पेशल कोर्स चलाए जा रहे हैं जिसमें कई तरह के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. इनमें सबसे नया है DNB.डीएनबी डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड है. इसी नाम से पोस्ट ग्रजुएशन की डिग्री मिलती है. यह एमडी या एमएस के समकक्ष है. हालांकि इसमें भी दो तरह की डिग्रियां हैं. स्पेशिएलिटी के लिए DNB कोर्स होता है जबकि सुपर स्पेशिएलिटी के लिए DrNB डॉक्टरेट ऑफ नेशनल बोर्ड कोर्स होता है. यह एक तरह से एमफिल या डॉक्टरेट के समकक्ष है. यह कोर्स एमडी या एमएस के बाद किया जाता है. इसमें संबंधित विषयों की गूढ़ जानकारी दी जाती है. इस डिग्री को करने के बाद डॉक्टर संबंधित बीमारियों का इलाज के साथ-साथ सर्जरी भी कर सकते हैं.

MD, MS के बाद क्या

MD यानी डॉक्टर ऑफ मेडिसीन के बाद कोई डॉक्टर DM करते हैं. डीएम सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स है जो एमडी के बाद किया जाता है. इसका मतलब डॉक्टरेट ऑफ मेडिसीन है. इसकी पढ़ाई में अलग-अलग बॉडी पार्ट के लिए अलग-अलग तरह से पढ़ाई होती है. यानी अगर किसी ने एमडी किया है और वह चाहता है कि हार्ट से संबंधित बीमारियों में उच्च कोर्स किया जाए तो वह डीएम कर सकता है. ऐसे डॉक्टर MBBS, MD, DM Cardiologist होते हैं. इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि उन्होंने एमबीबीएस के रूप में पहले ग्रेजुएशन किया. फिर एमडी के रूप में पोस्ट ग्रेजुएशन और डीएम के रूप में डॉक्टरेट. बॉडी के हर पार्ट के लिए अलग-अलग डीएम की पढ़ाई होते हैं. वे डीएम न्यूरो, डीएम कार्डियो, डीएम गैस्ट्रो, डीएम यूरो आदि डॉक्टर होते हैं. डीएम करने वाले डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्र में सर्जरी भी कर सकते हैं. इसी डिग्री के समकक्ष है MCh (Master of Chirurgiae). एमसीएच में अलग-अलग बीमारियों के लिए सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनते हैं. इसमें सुपर स्पेशिएलिटी सर्जन बना जाता है. यह कोर्स आमतौर पर एमएस के बाद किया जाता है. इसमें ब्रेन, प्लास्टिक, कैंसर, यूरो आदि से संबंधित सर्जन बन सकते है. बॉडी के हर पार्ट के लिए अलग सर्जन काम करेंगे. इसमें एमएस के बाद की डिग्री है. एमसीएच से पहले जनरल सर्जरी यानी एमएस करना होता है.

FRCP का क्या मतलब

FRCP का मतलब फेलोशिप ऑप रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन है. डॉ. तुषार तायल ने बताया कि ऐसी डिग्रियां आमतौर पर फैलोशिप होती है. ये हर देश में अलग-अलग तरह से होती है. यानी अगर किसी को एफआरसीपी करना है तो वह फेलोशिप के माध्यम से इसे कर सकता है. यह दो-तीन, छह महीने आदि का हो सकता है. ऐसे कोर्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों हो सकते हैं. यह एक महीने का भी हो सकता है.

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