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Wednesday, January 29, 2025

नई पीढ़ियों की पूरी फौज होने लगी है ब्रेन रोट के शिकार, 2024 का सबसे सनसनीखेज शब्द, क्या आप जानते हैं इस बीमारी के बारे में

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What is Brain Rot: क्या होता है ब्रेन रोट? संभव है आप भी उसके शिकार हो चुके हैं. आइए जानते हैं कि यह बीमारी क्या है और किस तरह आबादी दर आबादी को प्रभावित कर रही है.

क्या होता है ब्रेन रोट. Image: Canva

What is Brain Rot: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने ब्रेन रोट शब्द को 2024 का सबसे चुनिंदा मुहावरा घोषित किया है. आप समझ रहे होंगे कि यह ब्रेन रोट है क्या. दरअसल, आज की पूरी पीढ़ी लगभग ब्रेन रोट के शिकार होने लगे हैं. डिक्शनरी में इस शब्द का जो माने बताया गया है वह कि ऑनलाइन या इंटरनेट संस्कृति में अति निम्न गुणवत्ता या घटिया स्तर के कंटेंट को ऑनलाइन किसी भी रूप में ग्रहण करने से दिमाग में जो घटिया छवि बनती है और इससे जो दिमागी अपंगता होती है, उसे ब्रेन रोट कहा जाता है. 2023 से 2024 के बीच ब्रेन रोट के मामले में 230 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसलिए माना जा रहा है जो लोग हमेशा इंटरनेट पर घटिया चीजें देखते हैं या सुनते हैं या पढ़ते हैं, उनमें से अधिकांश को ब्रेन रोट की बीमारी हो गई है.

ब्रेन रोट क्या है
सीधे शब्दों में कहें तो यदि कोई लगातार इंटरनेट पर बिना दिमाग लगाए कुछ भी देख लेते हैं जिसमें कोई सत्यता नहीं होती तो इससे दिमाग में हमेशा नकारात्मक छवि बन जाती है और नकारात्मक छवि के कारण बौद्धिक दक्षता कम होने लगती है. दिमाग शार्प नहीं रह पाता. दिमाग थकने लगता है और इसके कारण हर तरह की दिमागी परेशानी होती है. ऐसे लोग अक्सर बहुत ज्यादा इंटरनेट पर समय बिताते हैं और कुछ से कुछ देखते रहते हैं. आपने गौर किया होगा कि कुछ लोग जब तक जागते रहते हैं तब तक या तो रील्स देखेंगे या यूट्यूब देखेंगे. वास्तविकता यह है कि आजकल इंटरनेट की दुनिया में ज्यादातर चीजें झूठी रहती है. जब ये झूठी चीजें देखेंगे तो इनके दिमाग में नकारात्मक छवि बनेगी जिसके कारण हर चीज को अपने उसी दृष्टिकोण से देखेंगे. हालांकि ब्रेन रोट शब्द नया नहीं है. 1854 में हेनरी डेविड थोरीयू ने अपनी किताब वाल्डन में इस शब्द का जिक्र किया था. उस समय इस शब्द का मतलब था कि ऐसा व्यक्ति जो मानसिक और बौद्धिक रूप से बहुत कमजोर है.

ब्रेन रोट होने पर क्या होता
जब किसी को ब्रेन रोट हो जाता है तो बिना मोबाइल या अन्य चीजों का सहारा लिए बिना वह सामान्य सवालों का भी जवाब नहीं दे पाता है. ऐसे व्यक्तियों की बौद्धिक क्षमता बहुत कम हो जाती है. संवेदनाएं कम होने लगती है. किसी चीज को याद करने में बहुत दिक्कत होती है. किसी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है. उसका दिमाग हर वक्त थका हुआ और बोझिल रहता है. ऐसे व्यक्तियों में रचनात्मकता न के बराबर होती है. कोई नई चीज सोचने में भी दिक्कत होती है. सामान्य जोड़-घटाव करने के लिए कैलकुलेटर का सहारा लेना पड़ता है.

कैसे इससे निपटें
टीओआई की खबर के मुताबिक सबसे पहले स्क्रीन टाइम कम करें. बिना जरूरी स्क्रीन पर न रहें. मनोरंजन के लिए कुछ समय ही इसका इस्तेमाल करें. आराम की अवस्था में रहें ताकि दिमाग को आराम मिल सके. दिमाग की एक्सरसाइज करें. पहेलिया सुलझाएं. क्रॉस वर्ड बनाएं. उल्टी गिनती करें. मन में ही किसी स्पेलिंग का उल्टा बनाएं. जैसे एप्पल का उल्टा शब्द बनाएं. मन ही मन में गुणा-भाग जैसे सवालों को सुलझाएं. जैसे मन में कोई संख्या ले लें और किसी अन्य संख्या से इसे गुणा या भाग कर रिजल्ट लाने की कोशिश करें. फिजिकल एक्सरसाइज को ज्यादा तरजीह हैं. हर दिन तेज वॉक, स्विमिंग, रनिंग पर ध्यान दें. योग और ध्यान रोज करें, किसी चीज पर ध्यान फोकस कर उस चीज पर रखें. लंबी गहरी सांस वाली एक्सरसाइज करें. हेल्दी डाइट लें. बाहर का खाना सीमित करें. गहरी नींद लें. रात में सोने से 2 घंटा पहले न तो मोबाइल को हाथ लगाएं और न ही टीवी देखें.

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