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Sunday, January 19, 2025

आयुर्वेदिक दवाओं से खिल उठेगा बच्चों का बचपन, रोग रहेंगे कोसों दूर, इम्यूनिटी भी होगी मजबूत!

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Chanduali: दवाएं अगर समय पर या बचाव के लिए ली जाएं तो बड़ी बीमारियों से राहत पहुंचा सकती हैं. उदाहरण के लिए आयुर्वेद में बच्चों को कम उम्र से ही कुछ मेडिसिन दी जाती हैं जिनसे उनकी इम्यूनिटी बढ़ती है और वे स्वस्थ रहते हैं….और पढ़ें

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आयुर्वेद डॉक्टर से विशेष बातचीत 

चंदौली: अच्छी सेहत और स्वास्थ्य के लिए समय पर खान-पान के अलावा दवाओं या सप्लीमेंट्स का भी उपयोग जरूरी है. दवाओं की जब बात आती है तो केमिकल वाली दवाएं शरीर पर विपरीत प्रभाव डालती हैं लेकिन आयुर्वेदिक दवा शरीर को स्वस्थ रखती है. इस संबंध में लोकल 18 की टीम से हुई खास बातचीत के दौरान डॉक्टर पल्लव ने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि खासतौर पर बचपन में बच्चों को आयुर्वेदिक दवाओं को ही देना चाहिए. ये सुरक्षा के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं. सर्दियों में खासकर बच्चे बहुत बीमार होते हैं, इसमें ये दवाएं काम करती हैं और उनकी इम्यूनिटी बढ़ाती हैं.

सुवर्णप्राशन से तन और मन रहता है स्वस्थ 
डॉ. पल्लव ने बताया कि बच्चों के जीवनकाल में कई ऐसी बीमारियां आती हैं जिन्हें समय पर छोड़ दिया जाता है और ये जवाब मिलता है कि जैसे-जैसे वे बड़े होंगे, ये ठीक हो जाएंगी. कई बीमारियों का टीका भी बना है लेकिन ये फिर भी अटैक करती हैं. ऐसे में आयुर्वेद में कुछ इलाज हैं जिनकी मदद ली जा सकती है. ऐसा ही एक उपचार है सुवर्णप्राशन संस्कार, जिसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है.

इसमें सोने की भस्म के साथ कई और भी आयुर्वेदिक औषधि दवाओं को मिलाकर बच्चों को दिया जाता है. सुवर्णप्राशन जन्म से 16 वर्ष तक कराया जाता है. इसके सेवन से कई बीमारियों का सफाया होता है. आज देखा जाए, तो बच्चों में चिड़चिड़ापन, मानसिक एवं शारीरिक रूप से कई कमजोरी होती हैं, जिससे लोग परेशान रहते हैं. इनसे बचाव के लिए औषधीय गुणों से भरपूर स्वर्णप्राशन अगर कराया जाए, तो बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ रहता है.

सांस के रोगों में बचाव करता है शहद
बड़े बुजुर्गों के द्वारा दिया जाने वाला शहद क्या बच्चों के लिए अच्छा होता है? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि बच्चों का जो जीवन काल है, वह कफ का होता है. जिनमें सांस संबंधी रोग जैसे निमोनिया, खांसी, अस्थमा एवं कई अन्य बीमारियां होती हैं, जिनसे बच्चे काफी परेशान होते हैं. इनसे बचाव के लिए शहद दिया जाता है. अगर शहद के साथ औषधीय दवा मिला कर दी जाए, तो सांसों की समस्या और इस तरह की अन्य बीमारियों का सफाया होता है. शहद के गुण से युक्त दवाओं का उपयोग आज बढ़ रहा है. जिसका फायदा भी लोगों को मिल रहा है. शहद में कई ऐसे गुण होते हैं जो शरीर को हानि नहीं पहुंचाते हैं.

आयुर्वेदिक दवाओं का समय पर करें उपयोग 
वे आगे बताते हैं कि आयुर्वेद की कई दवाओं में कुछ गुणकारी तत्वों का मिश्रण होता है जिससे इनकी कुछ दवाएं महंगी मिलती हैं लेकिन सभी के साथ ऐसा नहीं है. बदलते समय के साथ आज राज्य सरकार भी सुवर्णप्राशन करा रही है. केंद्र की सरकार भी गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन बढ़ा रही है. सरकार ने भी आम लोगों से अपील की है की आयुर्वेद की दवाओं का उपयोग करें. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ सभी अगर आयुर्वेदिक दवाओं का समय पर उपयोग करें, तो शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रह सकता है.

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आयुर्वेदिक दवाओं से खिल उठेगा बच्चों का बचपन, रोग रहेंगे कोसों दूर!

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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