Tobacco Causes Oral Cancer: देश में तंबाकू और सुपारी खाने से बड़ी संख्या में लोग ओरल कैंसर का शिकार हो रहे हैं. एक हालिया रिसर्च में खुलासा हुआ है कि भारत में मुंह के कैंसर (Oral Cancer) के मामले साउथ एशिया में सबसे ज्यादा है और इसका मुख्य कारण तंबाकू है. इंटरनेशनल कैंसर रिसर्च एजेंसी (IARC) की स्टडी में पता चला है कि 2022 में दुनिया के कुल 3,89,800 ओरल कैंसर मामलों में से 1,20,200 मामले बिना धुएं वाली तंबाकू और सुपारी के सेवन से हुए थे. दुनिया में बड़ी संख्या में लोग पान मसाला, गुटखा, खैनी और सुपारी खाने से कैंसर का शिकार हो रहे हैं.
‘द लैंसेट ऑन्कोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार साल 2022 में दुनियाभर में 1,20,200 ओरल कैंसर के मामले तंबाकू और बिना धुएं वाले टोबेको प्रोडक्ट्स से हुए थे, जिनमें से 83,400 केस भारत में थे. ये सभी मामले धुएं रहित तंबाकू और सुपारी के कारण हुए थे. यह स्टडी दिखाती है कि तंबाकू चबाने की आदत भारतीयों के लिए कितनी खतरनाक साबित हो रही है और इससे सेहत को कितना गंभीर नुकसान हो रहा है. इस स्टडी में डरावने आंकड़े सामने आए हैं. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो अगर तंबाकू के इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न किया जाए, तो कैंसर के केस कम हो सकते हैं.
ये चीजें ओरल कैंसर की सबसे बड़ी वजह
स्टडी में यह भी बताया गया है कि महिलाओं में मुंह के कैंसर के मामलों का सबसे बड़ा कारण सुपारी (30%) और तंबाकू वाले पान मसाले (28%) हैं. इसके बाद गुटखा (21%) और खैनी (21%) का नंबर आता है. पुरुषों की बात करें, तो इनमें ओरल कैंसर की सबसे बड़ी वजह खैनी (47%), गुटखा (43%), तंबाकू वाला पान मसाला (33%) और सुपारी (32%) है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना धुएं वाली तंबाकू और सुपारी ओरल कैंसर समेत कई बीमारियों की वजह बन सकती हैं. अगर इन उत्पादों का उपयोग रोका जाए, तो दुनिया में ओरल कैंसर के लगभग 31% मामलों को टाला जा सकता है.
कम और मिडिल इनकम देशों का हाल बुरा
इस स्टडी के अनुसार 95% से ज्यादा ओरल कैंसर के मामले कम और मध्यम आय वाले देशों में पाए गए हैं. इनमें भारत पहले नंबर पर है और यहां ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं. भारत के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार, श्रीलंका, इंडोनेशिया और थाईलैंड का नंबर आता है. यह दर्शाता है कि इन देशों में स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को गंभीरता से लेने की जरूरत है. आईएआरसी के विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों में स्मोकिंग पर कंट्रोल में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन बिना धुएं वाली तंबाकू को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 15:56 IST