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Saturday, September 14, 2024

ये कोरोना वायरस तो बड़ा जालिम निकला, अब भी दिमाग में कर रहा है खुराफात, गंध जाने वाले मरीजों में मचा रहा है उत्पात

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Brain Change in Corona Patients: कोरोना का कहर जब चरम पर था, तब से अब तक का चार साल का अरसा गुजर चुका है लेकिन यह कोरोना वायरस तो इतना बड़ा जालिम है कि अब भी लोगों के दिलों दिमाग में उत्पात मचा रखा है. अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ऐसे कोरोना वायरस के मरीज जिनमें गंध महसूस करने की क्षमता कम हो गई थी या खत्म हो गई थी, उनके दिमाग में इस कोरोना वायरस ने खुराफात कर दिया है. दरअसल, कोविड-19 के ऐसे मरीजों के दिमाग में कोरोना वायरस ने व्यवहारिक, कार्यात्मक और संरचनात्मक परिवर्तन कर दिया है जिसके कारण याददाश्त से संबंधित कई क्षमताएं कमतर हो गई है. इसका साधारण माने यह है कि जिन व्यक्तियों को कोरोना के कारण गंध चली गई थी उनका दिमाग एक तरह से कमजोर हुआ है.

दिमागी काम में फिसड्डी

यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की रिपोर्ट में कहा गया है कि चिली के शोधकर्ताओं ने कोरोना के कारण गंध खोने वाले मरीजों की बौद्धिक क्षमता को लेकर एक अध्ययन किया. इसमें ऐसे 73 मरीजों को शामिल किया गया जिन्हें 2020 से 2023 के दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था. इनकी औसतम उम्र 41 साल थी. इनमें से कुछ मरीजों में गंध महसूस होना पूरी तरह बंद हो गया था जबकि कुछ में मामूली गंध गया था. अब इन लोगों को 15 दिनों के अंतराल पर दिमागी क्षमता से जुड़े कुछ काम दिए गए. इनमें कुछ प्रोब्लेम सोल्विंग काम थे तो कुछ में दिए गए परिस्थितियों में निर्णय लेने की बात थी. इसके साथ ही कुछ चीजों को सुलझाने के लिए कहा गया. इस दौरान इन मरीजों का एमआरआई भी किया गया. इसके बाद इसके परिणामों का विश्लेषण किया गया. इस स्टडी के शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस तरह से कोविड 19 एक वैश्विक घटना थी, उसे देखते हुए मरीजों में उन कारकों की पहचान करना जरूरी थी जो दिमाग की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है. इसके लिए यह प्रयोग काफी महत्वपूर्ण है.

दिमाग के व्हाइट मैटर में भी कमी
अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले थे. अध्ययन में गंध की क्षमता खोने वाले कोरोना वायरस के 30 प्रतिशत मरीजों में दिमाग से संबंधित कई तरह की और अलग-अलग परेशानियां देखी गई. 73 मरीजों में से 7 मरीजों ने कहा कि कोरोना के बाद से उनके सिर में दर्द रहता है. वहीं 6 मरीजों ने कहा कि उन्हें लगातार थकान रहती है और चार ने कहा कि उन्हें अब भी गंध महसूस नहीं होती. इनमें से 68 प्रतिशत मरीजों को उस समय पूरी तरह से गंध महसूस होना बंद हो गया था. वहीं जब दिमागी परीक्षा ली गई तो इनमें से अधिकांश ने गलत तरह से सवालों को हल किया. निर्णय क्षमता में भी ये कमजोर दिखे. जब एमआरआई रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया तब पाया गया कि जिन मरीजों ने दिमाग से संबंधित फंक्शनल एक्टिविटी नहीं किया उनके दिमाग के व्हाइट मैटर में कमी आ गई. वहीं सेरेब्रम का आउटर लेयर भी पतला हो गया. सेरेब्रम दिमाग का वह हिस्सा है जिससे संवेदी कोशिकाएं सिग्नल लेकर आता है और इसी आधार पर दिमाग किसी चीजों की पहचान करता है. 6 मरीजों के ओलफेक्टरी लोब में भी दिक्कत थी. इस तरह दिमागी संरचनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया.

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Tags: Health, Lifestyle



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