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Thursday, July 17, 2025

50 की उम्र में भी रहेगा 25 वाला जोश, बस 21 दिनों तक कर लें इस पौधे का सेवन 

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पश्चिम चम्पारण. चिकित्साशास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में आयुर्वेद में ऐसे अनगिनत औषधीय पौधों का जिक्र है, जिनके इस्तेमाल से इंसान हर मौसम में न सिर्फ चुस्त-दुरुस्त रह सकता है, बल्कि शारीरिक कमजोरियों से भी निजात पा सकता है. इन्हीं पौधों में से एक है ‘सत्यानाशी’. वैसे तो इस पौधे का इस्तेमाल मुख्य रूप से मर्दाना कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके विभिन्न औषधीय गुण मधुमेह, पीलिया, पेट दर्द, खांसी तथा यूरिन की समस्या में भी राहत प्रदान करते हैं. पिछले चार दशकों से कार्यरत, पतंजलि आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे तथा सन 1984 से जड़ी बूटियों पर कार्य रहे, जड़ी बूटियों के जानकार वासुदेव ने सत्यानाशी के पौधे के इस्तेमाल एवं उससे होने वाले विभिन्न लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की है.

स्वर्णाक्षीरी के नाम से भी प्रसिद्ध, गुणकारी तत्वों की खान 
जानकारों की मानें तो, सत्यानाशी को स्वर्णाक्षीरी के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें तोड़ने पर उनसे पीले रंग का द्रव निकलता है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबिटीक, एनाल्जेसिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं. आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल की विस्तृत जानकारी दी गई है. सत्यानाशी के पत्ते का रस, बीज का तेल, पत्तियों का लेप तथा फूलों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है.

शारीरिक कमजोरी सुधारे : शारीरिक कमजोरी कई कारणों से हो सकती है. शुक्राणुओं की कमी को सबसे मुख्य कारण बताया गया है. भुवनेश के अनुसार, सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण होता है. इसलिए अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं, तो इसका इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में शारीरिक कमजोरी समाप्त हो सकती है.

पीलिया में मददगार : पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी के लिए भी सत्यानाशी का पौधा रामबाण इलाज है. अगर किसी व्यक्ति को पीलिया हो गया है, तो उसे सत्यानाशी के तेल में गिलोय का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए. इससे पीलिया जड़ से खत्म हो जाता है.

यूरिन की समस्या का समाधान : यदि आप पेशाब करते समय जलन तथा पेशाब के रुक-रुक कर होने की समस्या से परेशान हैं, तो इनमें सत्यानाशी बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो पेशाब से जुड़ी ज्यादातर परेशानियों से राहत दिलाते हैं. इसके लिए आपको सत्यानाशी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना होगा.

सेवन के तरीके : इसके सेवन के दो तरीके हैं. पहला तरीका यह है कि आप सत्यानाशी के पौधे की जड़, पत्तियों एवं फूलों को पीसकर उससे निकलने वाले रस का सेवन करें, या फिर इसके अलावे आप उनकी पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर उसे हर दिन सुबह शाम पानी या दूध के साथ खाएं.ध्यान रहे कि रस के रूप में आपको उसे हर दिन अधिकतम 20 मिली लीटर ही लेना है तथा चूर्ण के रूप में सुबह शाम एक एक चम्मच का सेवन करना है.

Tags: Bihar News, Champaran news, Health, Local18



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