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Monday, May 12, 2025

औषधीय गुणों का भंडार है रीवा की पीली मिट्टी! स्किन,पेट और दर्द का रामबाण इलाज, जानवर भी करते हैं इसका इस्तेमाल

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Benefits of Yellow Soil: आयुर्वेद के अनुसार पीली मिट्टी में प्राकृतिक औषधीय तत्व होते हैं जो त्वचा, पाचन और दर्द संबंधी रोगों में लाभकारी हैं. रीवा के आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि यह मिट्टी काली मिट्टी के समा…और पढ़ें

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रीवा की पीली मिट्टी के औषधीय गुण जान कर हो जाएगे हैरान.

हाइलाइट्स

  • रीवा की पीली मिट्टी में औषधीय गुण होते हैं.
  • त्वचा, पाचन और दर्द में लाभकारी है पीली मिट्टी.
  • जानवर भी पीली मिट्टी का उपयोग करते हैं.

रीवा. रीवा आयुर्वेद हॉस्पिटल के डीन डाॅक्टर दीपक कुलश्रेष्ठ बताते हैं कि रीवा के तालाबों तथा नदियों के किनारे पाई जाने वाली यह मिट्टी भी काली मिट्टी के समान ही लाभकारी होती है. यह देखा जाता है कि जब कोई जानवर बीमार होता है, तो रोग की दशा में पृथ्वी की शक्ति का वह खास तौर पर उपयोग करता है. घायल हुए जानवर तालाब या पोखर के कीचड़ में जा लेटते हैं और अपने आप को स्वस्थ बना लेते हैं.

पीली मिट्टी के लाभकारी प्रयोग  
महीन पिसी हुई पीली मिट्टी को पानी के साथ घोलकर कीचड़ जैसा बना लें एवं उसको शरीर पर लेपकर सुखा लीजिए, कुछ देर बाद मिट्टी सूखने लगती है. फिर ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान कर लेने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं.

मिट्टी में अनेकों प्रकार के क्षार, विटामिन्स, खनिज, धातु, रासायन रत्न, रस आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है. औषधियां कहां से आती है? जबाब होगा पृथ्वी, मतलब सारे के सारे औषधियां के भंडार होता पृथ्वी. अत: जो तत्व औषधियों में है, उनके परमाणु पहले से ही मिट्टी में उपस्थित रहते हैं.

मिट्टी कई प्रकार की होती है, तथा इसके गुण भी अलग-अलग होते हैं. उपयोगिता के दृष्टिकोण सें पहला स्थान काली मिट्टी का है, उसके बाद पीली, सफेद और उसके बाद लाल मिट्टी का स्थान है. मिट्टी के विभिन्न प्रकारों और उनकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर मिट्टी का चयन करना चाहिए, इसके उपयोग के पहले कुछ बातें जरूर ध्यान में रखें.मिट्टी चाहे किसी भी रंग या प्रकार की हो, उसका प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि वह साफ-सुथरी हो, उसमें कंकड़, पत्थर, तिनके आदि न हो.

सावधानियां
पीली मिट्टी का लेप लगाते हुए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जैसे यदि पट्टी-पेडू या पेट पर लगानी हो, तो रोगी का खाली पेट होना बहुत जरूरी है. यदि रोगी भूखा न रह सकता हो, तो उपचार के प्रयोग के तीन घंटे पूर्व ही खा-पी लेना चाहिए. पीली मिट्टी की पट्टी का प्रयोग पेड़ू या पेट के अलावा किसी और अंग पर करना हो, तो भी रोगी का खाली पेट होना लाभदायक होता है, मिट्टी की पट्टी के प्रयोग की अवधि आधा से एक घंटा तक हो सकती है.

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औषधीय गुणों का भंडार है रीवा की पीली मिट्टी! स्किन,पेट और दर्द का रामबाण इलाज

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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