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Wednesday, August 28, 2024

यह हानिकारक केमिकल शरीर में नहीं बनने देता इंसुलिन, हर कोई करता है इस्तेमाल, जानें कैसे करें इसे कम

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BPA Reduces Insulin Sensitivity: हमारे जीवन में प्लास्टिक इस कदर घुल मिल गया है कि इसके बिना हम कल्पना भी नहीं कर सकते. चाहे आप बाथरूम में नहा रहे हों या घर में हजारों जरूरत की चीजों को किसी चीज में रख रहे हों, हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक ही है. खाने-पीने के बर्तन भी प्लास्टिक के बनने लगे हैं. बच्चों का टिफिन हो या बड़ों के लिए ऑफिस ले जाने वाला लंच बॉक्स, हर चीज प्लास्टिक से बनी होती है. लेकिन यह प्लास्टिक जितना हमारी सुविधाओं के जरूर बन गया है उतना ही हमारी जान का दुश्मन भी बन गया है. प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन इतने खतरनाक होते हैं कि इससे कैंसर तक की बीमारी हो सकती है. अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्लास्टिक में जो हानिकारक केमिकल होते हैं अगर यह शरीर के अंदर घुस जाए तो इससे इंसुलिन सेंसेटिविटी कम हो जाती है. यानी इससे डायबिटीज बीमारी हो जाती है.

शरीर में बिस्फेनॉल की मात्रा
रिसर्च टीम ने पाया है कि प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाला बिस्फेनॉल ए BPA इंसुलिन सेंसिटिविटी को कम कर देता है. अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के गाइडलाइंस के मुताबिक प्रति किलोग्राम वजन पर किसी व्यक्ति में 50 माइक्रोग्राम से ज्यादा बिस्फेनॉल नहीं होना चाहिए. लेकिन जब इसे परखने के लिए रिसर्च की गई तो उसमें 40 हेल्दी लोगों को दो समूहों में बांट दिया. एक समूह को 50 माइक्रोग्राम बिस्फेनॉल का ओरल डोज दिया गया जबकि दूसरे समूह को प्लेसिबो दिया गया. रिसर्च में पाया गया कि प्लेसिबो वाले समूह के खून में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. यहां तक कि जिसे बिस्फेनॉल दिया गया उसके खून में भी ब्लड शुगर की मात्रा नहीं बढ़ी लेकिन जब चार दिन के बाद इंसुलिन की जांच की गई तो इंसुलिन की सेंसिटिविटी बहुत कम हो गई. शोधकर्ता इस परिणाम से बेहद हैरान हो गए. कैलिफोर्निया पोलिटेक्निक स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टोड हेगाबियन ने बताया कि दुनिया भर में डायबिटीज के कारण लोगों की मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं. इस लिहाज से इस बीमारी को बढ़ाने वाले छोटे से छोटे कारकों की पहचान करना हमारे लिए जरूरी है.

प्लास्टिक से बनी चीजों से खतरा
टोड हेगाबियन ने बताया कि इस परिणाम से यह साबित हो गया है कि अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बिस्फेनॉल की जो लिमिट बनाई है वह गलत है. इसलिए इस लिमिट में कमी लाने की आवश्यकता है. हालांकि रिसर्च में यह भी पाया गया कि जिन चीजों में बिस्फेनॉल की मात्रा बहुत कम होती है या नहीं होती है उससे डायबिटीज का खतरा बहुत कम होता है. स्टेनलेस स्टील, बिस्फेनॉल फ्री केन, गिलास आदि से डायबिटीज का जोखिम बहुत कम हो जाता है. बिस्फेनॉल का कई चीजों में इस्तेमाल होता है. फूड कंटेनर से लेकर टेबलवेयर तक में. यह बिस्फेनॉल शरीर के हार्मोन में दखलअंदाजी करने लगता है जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. यह बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए काफी नुकसानदेह है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle



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