Expert Opinion on PresVu Eye Drop: भारतीय दवा निर्माता कंपनी एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने एक ऐसा आई ड्रॉप बनाने का दावा किया है, जिसे डालने के बाद प्रेसबायोपिया के मरीजों को पास की चीजें साफ दिखने लगेंगी और कई घंटों के लिए आंखों का चश्मा हट सकता है. इस ड्रॉप का नाम प्रेस्वू आई ड्रॉप है. आंखों के इस ड्रॉप को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) की मंजूरी भी मिल गई है. हालांकि इस ड्रॉप को लेकर डॉक्टर्स ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह ड्रॉप न तो परमानेंट तरीके से चश्मा हटा सकता है और न ही इसे अभी सेफ माना जा सकता है.
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के ऑप्थेल्मोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. तुषार ग्रोवर ने News18 को बताया कि दुनिया में अभी तक ऐसा कोई आई ड्रॉप नहीं बना है, जो आंखों से चश्मे को परमानेंट तरीके से हटा सके. जिस आई ड्रॉप के बारे में इन दिनों चर्चा हो रही है, वह पाइलोकार्पिन ड्रॉप है. इस ड्रॉप में पाइलोकार्पिन को लोअर कंसंट्रेशन में तैयार किया गया है. हालांकि पाइलोकार्पिन ड्रॉप्स का इस्तेमाल कई दशकों से ग्लूकोमा के इलाज में किया जा रहा है. इस ड्रॉप को डालने से लोगों को कुछ घंटों के लिए साफ नजर आ सकता है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी हैं.
डॉक्टर तुषार ने बताया कि जब पाइलोकार्पिन ड्रॉप को आंखों में डाला जाता है, तब इससे आंख की पुतली करीब 6 घंटों के लिए छोटी हो जाती है, जिससे रेटिना पर रेज सीधी पड़ने लगती हैं और लोगों को पास व दूर की चीजें तक साफ नजर आने लगती हैं. इसे पिन होल इफेक्ट कहा जाता है. जो लोग इसे चश्मे के विकल्प के रूप में देख रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि चश्मा न लगाने के लिए हर 6 घंटे में यह ड्रॉप आंखों में डालना होगा. ज्यादा इस्तेमाल करने से इस ड्रॉप के आंखों पर कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. इससे सिरदर्द, विजन ब्लर होना, आंखों में डिसकंफर्ट और इरिटेशन हो सकती है.
एक्सपर्ट की मानें तो कुछ मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर कहा जा सकता है कि लंबे समय तक यह आई ड्रॉप बार-बार इस्तेमाल करने से रेटिनल डिटैचमेंट यानी आंखों का पर्दा उखड़ने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसी कंडीशन में लोगों को विजन लॉस हो जाता है. आंखों के लिए चश्मा एक परमानेंट और सुरक्षित सॉल्यूशन होता है, जबकि इस तरह के ड्रॉप्स हर किसी की आंखों के लिए सुरक्षित नहीं माने जा सकते हैं. जिन लोगों की आंखों में इस ड्रॉप के साइड इफेक्ट नजर नहीं आएंगे, वे इन ड्रॉप को इस्तेमाल कर सकते हैं. फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि यह ड्रॉप आंखों के लिए कितना सुरक्षित होगा. इसके लिए रिसर्च की जरूरत है. समय के साथ इस ड्रॉप की सेफ्टी के बारे में पता चल जाएगा.
डॉक्टर के अनुसार बच्चों में मायोपिया यानी दूर की चीजें न दिखने की समस्या होने पर एट्रोपिन आई ड्रॉप्स दिए जाते हैं, जो मायोपिया प्रोगेसन को रोकने में कुछ मदद करते हैं, लेकिन ये ड्रॉप्स भी चश्मे की पावर को हटाने में सक्षम नहीं होते हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आंखों में किसी भी तरह का ड्रॉप डालकर चश्मा हटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अभी तक ऐसा कोई ड्रॉप नहीं बना है. लोगों को टेंपररी चीजों के बजाय चश्मा इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि चश्मा आंखों के लिए सुरक्षित है.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 08:30 IST