हल्द्वानी. आयुर्वेद में आज भी कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल घरों में कई बिमारियों के इलाज में एक घरेलू नुस्खे के रूप में किया जाता है. खैर भी इनमें से एक है, खैर को आयुर्वेद में काफी फायदेमंद बताया गया है. खैर का पेड़ 9-12 मीटर ऊंचा और कांटेदार होता है. इसे खादिर, कत्था, ब्लैक कैटेचू के नाम से भी जाना जाता है. कत्था पान में लगाया जाता है, जो खैर की शाखाओं और छाल को उबालकर निकाला जाता है. आयुर्वेद में खैर के पत्ते, जड़, छाल, फूल, कत्था, गोंद आदि का इस्तेमाल कई घरेलू उपायों के रूप में किया जाता है. खैर की तासीर ठंडी होती है, इसलिए पित्त प्रकृति के लोग भी इसका सेवन आसानी से कर सकते हैं. यह त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.
पूर्व आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डॉ़ आशुतोष पंत ने बताया कि खांसी, जुकाम होने पर खैर की छाल का उपयोग करना लाभकारी हो सकता है. खैर की छाल का पाउडर, मिश्री एक साथ मिलाकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है.
खैर के पत्तों का ऐसे करें इस्तेमाल
डॉ़ पंत ने बताया कि खैर के पत्तों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो सूजन व लालिमा को कम करते हैं और साथ ही मुंह के अंदर ठंडक प्रदान करने का काम करते हैं. जिन लोगों को बार-बार मुंह के छाले होने की समस्या है उनके लिए खैर एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
स्किन प्रॉब्लम्स में असरदार
डॉ़ पंत ने बताया कि त्वचा संबंधी रोगों को दूर करने के लिए खैर का इस्तेमाल आयुर्वेद में प्राचीन समय से किया जा रहा है. इसके उपयोग से कई तरह के त्वचा संबंधी संक्रमण, एलर्जी, जलन और सूजन से छुटकारा मिल सकता है. खैर का लेप लगाने से फोड़े-फुंसी, दाद और खुजली जैसी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है.
संक्रमण दूर करने का कारगर उपाय
डॉ़ पंत ने बताया कि खैर में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने और उसे रोकने में मदद करते हैं. चोट लगने पर खैर की छाल का लेप लगाने से घाव जल्दी भरता है और संक्रमण फैलने का खतरा भी कम होता है.
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FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 13:10 IST
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