हजारीबाग: आमतौर पर मानसून की शुरुआत में पशुओं में दिखने वाला लंगड़ा बुखार इन दिनों हजारीबाग में कई पशुओं पर कहर बनके बरपा है. खासकर इससे दुधारू पशु और बैल ग्रसित हो रहे हैं, जिससे पशुपालकों की समस्या बढ़ गई है. लंगड़ा बुखार के कारण दुधारू पशुओं ने दूध देना भी कम कर दिया है.
रोग के फैलाव और लक्षण
वायरल डिजीज होने के कारण यह तेजी से एक जानवर से दूसरे जानवर में फैल रहा है. लोकल 18 से बात करते हुए इस संबंध में हजारीबाग के राजकीय पशु चिकित्सालय के वेटरनरी सर्जन डॉ मुकेश कुमार सिन्हा (BVSC, रांची वेटनरी कॉलेज, अनुभव 33 साल) बताते हैं कि लंगड़ा बुखार रोग कोई नया रोग नहीं है. अमूमन जब जानवर स्ट्रेस में जाते हैं तो लंगड़ा बुखार आ जाता है. आमतौर पर मानसून की शुरुआत में यह रोग देखने को मिलता है, लेकिन इस बार मानसून खत्म होने के बाद भी रोग देखने को मिल रहा है.
चिन्हित करना और उपचार
यह एक तरह का वायरल डिजीज है जो एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है. इसे आसानी से चिन्हित किया जा सकता है. इसमें जानवर पिछले पैर से लंगड़ा कर चलता है, उसके बाद खाना पीना बंद कर देता है, जुगाली बंद कर देता है, और जानवर के पिछले भाग में उभार तक देखा जाता है.
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ऐसे करें उपचार
उन्होंने आगे बताया कि सर्वप्रथम जिस पशु में लंगड़ा बुखार के लक्षण नजर आ रहे हैं, उन्हें दूसरे जानवरों से अलग कर दिया जाए. जानवर के संपर्क में आए हुए चीजों को भी अच्छे से साफ किया जाए. उसे अच्छा खाना पीना दिया जाए, पशु को हरा चारा खिलाएं. बुखार और दर्द अपने आप कुछ दिनों में चले जाते हैं, लेकिन फिर भी अच्छे पशु चिकित्सक से अवश्य पशु को दिखवा लें.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 11:15 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.