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Monday, March 31, 2025

सेहत के लिए अमृत से कम नहीं यह पौधा, फल-पत्ते, जड़ सब औषधि, डायबिटीज से लेकर बवासीर तक का काल

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Kilmora Health Benefits: उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी बताते हैं कि इसके फल खाने में खट्टे-मीठे होते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी औ…और पढ़ें

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कई औषधीय गुणों से भरपूर है पहाड़ में उगने वाला किलमोड़ा

नैनीताल. उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला किलमोड़ा (Berberis aristata) अब औषधीय दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. वैज्ञानिक शोध और पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान के आधार पर इस वनस्पति का उपयोग पाइल्स (बवासीर) जैसी समस्याओं के इलाज के लिए किया जा रहा है. किलमोड़ा एक झाड़ीदार पौधा है, जिसकी पत्तियां और फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. स्थानीय लोग इसे पारंपरिक चिकित्सा में वर्षों से उपयोग करते आ रहे हैं.

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी बताते हैं कि इसके फल खाने में खट्टे-मीठे होते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसकी जड़ से निकाला गया अर्क विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक होता है. हाल के शोधों में पाया गया है कि किलमोड़ा में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और कब्ज और पाइल्स जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं.

औषधीय उद्योग में बढ़ रही मांग

प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि किलमोड़ा की जड़ और छाल का उपयोग विशेष रूप से पाइल्स के इलाज के लिए किया जाता है. इसका पाउडर या काढ़ा बनाकर सेवन करने से सूजन में राहत मिलती है और आंतरिक घाव तेजी से ठीक होते हैं. इसके अलावा इसमें बीटा कैरोटिन, एस्कार्बिक एसिड, फ़ोनॉलिक कंपाउंड जैसे केमिकल मिलते हैं. जड़ी-बूटियों पर आधारित दवाओं की बढ़ती मांग के कारण, आयुर्वेदिक और हर्बल औषधि निर्माता किलमोड़ा को पाइल्स की दवा बनाने में उपयोग कर रहे हैं. प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि यह पौधा न केवल बवासीर बल्कि अन्य पेट संबंधी बीमारियों, डायबिटीज और लिवर से जुड़ी समस्याओं के इलाज में भी मदद कर सकता है.

संरक्षण और खेती की आवश्यकता

किलमोड़ा मुख्य रूप से जंगली क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी नियंत्रित खेती की आवश्यकता महसूस की जा रही है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में स्थानीय किसान अब इस औषधीय पौधे की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि यह पौधा अधिक मात्रा में उपलब्ध भी हो सकेगा. किलमोड़ा को पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक शोधों के आधार पर आधुनिक चिकित्सा में शामिल किया जा रहा है. यदि इसके संरक्षण और उचित खेती पर ध्यान दिया जाए, तो यह स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से फायदेमंद साबित हो सकता है.

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सेहत के लिए अमृत से कम नहीं यह पौधा, डायबिटीज से लेकर बवासीर तक का काल

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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