नागौर. ईसबगोल एक औषधीय फसल है. नागौर क्षेत्र में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके लिए ठंडा व शुष्क मौसम जरूरी होता है. इसकी फसल के लिए खेतों में जलभराव नहीं होना चाहिए. अच्छे जल निकास वाली हल्की बालुई मिट्टी इसके लिए अधिक उपयुक्त रहती है. इस फसल के लिए जल निकास की अच्छी व्यवस्था करना चाहिए. इसका उपयोग अनेकों आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. नागौर क्षेत्र में बहुत से किसान उन्नत तकनीक का उपयोग करके इसकी खेती करते हैं. यह एक तरीके की मुनाफे की खेती है. इसकी खेती कर किसान एक बार में ही लाखों रुपए की कमाई करते हैं.
कब करनी चाहिए ईसबगोल की बुआई
उन्नत किसान जोधा राम ने बताया कि औषधि फसल ईसबगोल की बुआई अक्टूबर के आखिरी हफ़्ते से नवंबर के दूसरे हफ़्ते के बीच कर लेनी चाहिए. दिसंबर में बुआई करने पर उपज में काफ़ी कमी आ जाती है. ईसबगोल एक धूप प्रभावित पौधा है. अगर दिन की अवधि बढ़ जाए, तो यह पौधा समय से पहले पक जाता है.
नागौर में इसे नवंबर और दिसंबर के महीने में यह फसल बोई जाती है. इसके अलावा उन्नत किसान ने बताया कि ईसबगोल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मिट्टी मानी जाती है. इस मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा ज़्यादा होनी चाहिए, इस औषधीय फसल के लिए खाद का उचित मात्रा में प्रयोग करना जरूरी होता है. मिट्टी में पोषक तत्व बराबर रहने से ईसबगोल की ग्रोथ अच्छी होती है.
ईसबगोल के फायदे
आयुर्वेद डॉक्टर राकेश चौधरी ने बताया कि ईसबगोल एक प्राकृतिक फाइबर वाला पौधा है, इसे बीज के रूप में प्राप्त किया जाता है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं, खासकर पाचन तंत्र के लिए. ईसबगोल में घुलनशील फाइबर की अधिकता होती है, जो पानी को अवशोषित कर मल को मुलायम और भारी बनाता है, जिससे कब्ज की समस्या में राहत मिलती है. इसके अलावा इसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है. यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण को धीमा करता है, जिससे ब्लड शुगर का अचानक बढ़ना कम हो जाता है.
ईसबगोल को पानी के साथ लेने पर पेट जल्दी भरता है और भूख कम लगती है. इससे अधिक खाने से बचा जा सकता है, जो वजन घटाने में सहायक होता है. इसमें फाइबर कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित करके उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है. वहीं ईसबगोल पेट की गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक है. यह आंतों को साफ रखने में भी मदद करता है.
सेवन का सही तरीका
आयुर्वेदिक डॉक्टर राकेश चौधरी ने बताया कि ईसबगोल को आमतौर पर पानी, दूध या दही के साथ मिलाकर लिया जाता है. इसे खाने के तुरंत बाद या सोने से पहले लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं. इसके अलावा इससे अनेकों प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती है. ईसबगोल बहुत ही फायदेमंद औषधिय गुणों वाला पौधा होता है.
Tags: Health, Local18, Nagaur News, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 11:58 IST