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राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह (MD और पीएचडी इन मेडिसिन, 7 साल का अनुभव) ने बताया कि आयुर्वेद में जामुन की जड़, पत्ती, छाल और बीज का उपयोग दवा के रूप में होता है. यह मुंहासे, त्वचा और आंखों की समस्या, मोतियाबिंद, कान के रोग, दांत दर्द, मुंह के छाले, उल्टी-दस्त, बवासीर, लीवर संबंधी बीमारियां, पीलिया, पथरी, डायबिटीज, दाद रोग, गठिया, घावों और रक्तपित्त यानी नाक-कान या अन्य अंगों से खून आने की समस्या जैसी तमाम गंभीर बीमारियों को जड़ से उखाड़ने में कारगर है.