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5 Disease in Polluted Cities: देश के सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर दिल्ली आता है. इसके बाद एनसीआर के लगभग सभी शहर भी अति प्रदूषित शहरों में है. ऐसे में दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम में रहने वाले लोगों को 5 …और पढ़ें
प्रदूषण से होने वाली बीमारियां.
5 Disease in Polluted Cities: अगर आप दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम या आसपास के इलाकों में रहते हैं तो इस बात की ज्यादा आशंका है कि आपको 5 तरह की ऑटोइम्यून बीमारियां जीवन में कभी न कभी हो. यह बात हम नहीं बल्कि डॉक्टरों का कहना है. क्योंकि दिल्ली और आसपास के इलाके देश ही नहीं दुनिया के सबसे ज्यादा पॉल्यूशन वाले शहर हैं. इन प्रदूषण के कारण 5 प्रमुख तरह की बीमारियां होने का खतरा ज्यादा है. देश का सबसे प्रदूषित शहर मेघालय का बेरनीहाट है. इसके बाद दूसरे नंबर में दिल्ली, चौथे नंबर पर फरीदाबाद, पांचवे नंबर लोनी, छठे नंबर पर नई दिल्ली, सांतवें नंबर पर ग्रुरुग्राम, 9वें नंबर पर ग्रेटर नोएडा और 10वें नंबर पर भिवंडी है. ये सारे शहर दिल्ली से सटे हुए हैं. इसलिए इन जगहों पर रहना कई बीमारियों को स्वतः ही दावत देना है.
कौन-कौन सी बीमारियां होंगी
1. रुमेटॉयड अर्थराइटिस-टीओआई खबर में बीडीआर फर्मास्युटिकल्स के टेक्निकल डायरेक्टर डॉ. अरविंद बादीगर बताते हैं कि प्रदूषण के कण शरीर में जाकर इंफ्लामेटरी रिएक्शन को बढ़ा देता है जिसके कारण सूजन होती है. यह जब बढ़ता है कि ज्वाइंट के कुशन को डैमेज कर देता है. इससे रुमेटॉयड अर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है. जिन लोंगो को पहले से यह बीमारी है उनके लिए तो यह और भी मुश्किल है.
2. मल्टीपल स्क्लेरोसिस-प्रदूषण के कण जब सांसों के माध्यम से अंदर जाते हैं तो यह ब्लड ब्रेन बैरियर को प्रभावित करता है. इससे न्यूरोइंफ्लामेशन का खतरा बढ़ जाता है. मतलब के दिमाग से संदेश के आदान-प्रदान करने वाले जो तार होते हैं उसमें सूजन हो जाती है. इससे न्यूरोलॉजिकल डिजीज मल्टीपल स्क्लेरोसिस हो सकता है.
3. लूपस- कंसल्टेंट रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. पूजा बेलानी के मुताबिक प्रदूषण से निकले जहरीले कण स्किन में चिपकने लगते हैं और इससे कोशिकाओं को परेशानी में डाल देते हैं. इस कारण स्किन पर रैशेज, थकान और अंगों में इंफ्लामेशन होता है. लूपस ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें स्किन, किडनी और हार्ट पर असर पड़ता है. पॉल्यूशन के कण बेंजीन और सल्फर डायऑक्साइड लूपस बीमारी के खतरे को बढ़ा देता है.
4. टाइप 1 डायबिटीज-टाइप 1 डायबिटीज भी ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें इंसुलिन पैंक्रियाज या तो इंसुलिन बनता ही नहीं है या बनाता है तो बहुत कम बनाता है. इंसुलिन ही ग्लूकोज को एब्जॉर्व करता है. अगर यह नहीं हो तो खून में ग्लूकोज भर जाता है. आमतौर पर यह बीमारी बच्चों को होती है लेकिन यदि प्रदूषण के कण शरीर के अंदर जाता है तो यह पैंक्रियाज के बीटा सेल्स को डैमेज कर सकता है जिसके कारण टाइप 1 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
5. इंफ्लामेटरी बाओल सिंड्रोम-आईबीडी या इंफ्लामेटरी बाओल सिंड्रोम पेट की बीमारी है जिसमें आंत में सूजन हो जाती है. इससे अपच, गैस, एसिडिटी, हार्ट बर्न जैसी परेशानियां होती है. प्रदूषण के कण आंत में गुड बैक्टीरिया को खत्म कर सकता है और बैड बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है जिसके कारण आईबीडी की बीमारी हो सकती है.
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