Daytime nap bigger brain: क्या कभी आपको दिन में झपकी के लिए डांट पड़ी है. अक्सर स्कूल में कुछ लोग क्लास के दौरान ही झपकी ले लेते हैं और उसे टीचर की जबर्दस्त डांट भी लग जाती है. अगर आपको लगी है तो इसे शुभ ही मानिए क्योंकि दिन में झपकी आपके दिमाग में बुद्धि की पुड़िया घोल सकती है. बुद्धि की पुड़िया इस अर्थ में क्योंकि झपकी लेने से दिमाग का वॉल्यूम बढ़ जाता है. इसका सीधा सा मतलब हुआ है कि दिमाग में याददाश्त और बौद्धिक क्षमता वाली जो जगह होती है, उसे बूढ़ा नहीं होने देता. दरअसल, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है दिमाग का वॉल्यूम कम होता जाता है और दिमाग के तंतुओं की उम्र बढ़ती जाती है, इससे दिमागी क्षमता प्रभावित होती है लेकिन दिन की झपकी या दिन में कुछ देर सो जाने से उम्र का असर इस पर नहीं दिखेगा. यह बात एक रिसर्च में सामने आई है.
दिमाग का वॉल्यूम बड़ा रहता है
स्लीप हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो लोग दिम में झपकी लेते हैं उन लोगों के दिमाग का वॉल्यूम झपकी नहीं लेने वालों की तुलना में ज्यादा होता है. इसे ऐसा मान लीजिए कि अगर किसी व्यक्ति की उम्र बढ़ती है तो उसके दिमाग का वॉल्यूम घटता जाता है लेकिन दिन में झपकी लेने वालों के ब्रेन का वॉल्यूम 2.6 साल से 6.5 साल तक कम घटता है. यानी उम्र तो बढ़ जाती लेकिन दिमाग की तंदुरुस्ती इतने साल कम वाली रहती है. इससे दिमाग में याददाश्त वाली क्षमता बरकरार रहती है. इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ रिपब्लिक उरुग्वे के शोधकर्ताओं ने किया है. इस अध्ययन में 3.79 लाख लोगों के हेल्थ डाटा का विश्लेषण किया गया था.
दिमागी क्षमता को तीक्ष्ण बनाता
इस अध्ययन में कहा गया है कि जो लोग रेगुलर दिन में झपकी लेते हैं, उनकी दिमागी हेल्थ बेहतर रहती है. वैज्ञानिकों ने लोगों को सलाह दी है कि दिन में आधे घंटे की नींद सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाती है. इससे दिमाग में उम्र के साथ जो सिकुड़न पैदा होती है वह नहीं होता है. इंडिपेंडेंट न्यूज वेबसाइट के मुताबिक यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में हेल्थ एंड एजिंग की डॉ. विक्टोरिया गैरीफील्ड ने बताया कि इस अध्ययन से यह साबित होता है कि कम समय के लिए दिन की झपकी एक पहेली की तरह है जिससे दिमाग की हेल्थ सुरक्षित हो सकती है. इससे दिमागी क्षमता तीक्ष्ण बनी रहती है और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है. हालांकि दिन में झपकी लेने वालों को समाज में अच्छा नहीं माना जाता है. इस लिहाज से यह अध्ययन इस मिथ को तोड़ता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें कोई हर्ज नहीं क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.
FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 10:07 IST