भारत में कोविड के बाद से कम के लोगों में हार्ट अटैक तेजी से बढ़ा है. पिछले तीन सालों में ऐसी तमाम घटनाएं हुई हैं जब 20, 25 या 35 साल के युवाओं की जान हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट के चलते पलभर में चली गई. कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया से जुड़े हार्ट स्पेशलिस्टों की मानें तो अभी तक ऐसा लग रहा था कि यह सब डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्ट्रेस, तंबाकू सेवन या फैमिली हिस्ट्री से मिले-जुले फैक्टर्स की वजह से हो रहा है. वहीं कुछ हद तक कोविड के प्रभाव के रूप में भी देखा जा रहा था, लेकिन देश विदेश के केसेज, डायग्नोस, ट्रीटमेंट, गाइडलाइंस आदि की स्टडी करने के बाद एक और चीज निकलकर सामने आई है.
कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से हार्ट अटैक प्रिवेंशन के लिए बनाई गईं लिपिड गाइडलाइंस के अध्यक्ष और गंगाराम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. जेपीएस साहनी कहते हैं कि हार्ट अटैक के लिए इन सब चीजों के अलावा कोलेस्ट्रॉल यानि लिपिड प्रोफाइल भी जिम्मेदार है. जिसकी जानकारी भारत में 80 फीसदी लोगों को नहीं है. इसलिए अगर हार्ट अटैक के खतरे को कम करना है तो भारत के हर व्यक्ति को एक जांच जरूर करानी चाहिए.
ये भी पढ़ें
चलते-फिरते हार्ट-अटैक दे रही ये एक चीज, भारत में 80% लोग अनजान, हार्ट स्पेशलिस्ट बोले, हर हाल में कराएं जांच
18 साल की उम्र में करा लें ये एक टेस्ट
एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस रामाकृष्णन कहते हैं कि भारत में हर व्यक्ति को 18 साल की उम्र में पहली बार अपना लिपिड प्रोफाइल यानि कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करानी चाहिए. लिपिड प्रोफाइल में गुड कोलेस्ट्रॉल, बैड कोलेस्ट्रॉल, नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, लिपो प्रोटीन और ट्रायग्लिसराइड सहित ये पांच चीजें आती हैं. जिनके सामान्य होने की जानकारी होना बहुत जरूरी है.
15 साल की उम्र में ये कराएं कोलेस्ट्रॉल की जांच
वहीं गाइडलाइंस बनाने वाले ये हार्ट स्पेशलिस्ट कहते हैं कि जिन लोगों के घर में हार्ट डिजीज, फिर चाहे हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की फैमिली हिस्ट्री है, उन लोगों को 15 साल की उम्र पर ही अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करा लेनी चाहिए. इससे बहुत हद तक अगली पीढ़ी में हार्ट अटैक को प्रिवेंट किया जा सकता है.
हर 10 साल पर जानें कोलेस्ट्रॉल लेवल, अगर..
डॉ. रामाकृष्णन कहते हैं कि अगर 18-20 साल की उम्र में आपने कोलेस्ट्रॉल की जांच कराई है और वह नॉर्मल है, आप हार्ट अटैक के लो रिस्क में हैं तो फिर हर 10 साल के बाद कोलेस्ट्रॉल की जांच करा सकते हैं. लेकिन इसी दरम्यान अगर फैमिली में किसी को हार्ट अटैक आ जाता है तो सभी को अपने-अपने लिपिड प्रोफाइल की जांच करा लेनी चाहिए.
इस उम्र के बाद हर साल कराएं..
डॉ. कहते हैं कि 40 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को रूटीन चेकअप की तरह हर साल कोलेस्ट्रॉल की जांच ऐसे ही करानी चाहिए, जैसे बीपी या डायबिटीज की कराते हैं. इससे आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का पता चलते रहने पर आप हार्ट अटैक के 50 फीसदी चांसेज को घटा सकते हैं.
पहली बार भारत के लिए बनी हैं लिपिड गाइडलाइंस
डॉ. जेपीएस साहनी कहते हैं कि चूंकि ये गाइडलाइंस पहली बार भारत को देखकर बनाई गई हैं ऐसे में देखा गया है कि अलग-अलग पैथ-लैबोरेटरीज की ओर से जांच के लिए कोलेस्ट्रॉल के एक कॉमन पैरामीटर के चलते हार्ट अटैक के हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क वाले लोग अपने बचाव के लिए सही कदम नहीं उठा पाते. जबकि हर व्यक्ति को उसके लिपिड प्रोफाइल के हिसाब से अलग-अलग दवाएं और अलग-अलग प्रिस्क्रिप्शन मिलना चाहिए, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि हर व्यक्ति को अपने शरीर में हाई या लो कोलेस्ट्रॉल के बारे में जानकारी हो. यह हार्ट अटैक का मुख्य फैक्टर है.
ये भी पढ़ें
क्या एक्सपायरी डेट निकलते ही खराब हो जाती हैं चीजें? खाने से होता है नुकसान? फूड लैब एक्सपर्ट ने बताया सच…..
Tags: Delhi news, Health News, Heart attack
FIRST PUBLISHED : July 6, 2024, 12:33 IST