Cervical Solution: आज के समय में युवा हो या बुजुर्ग, हर कोई गर्दन के दर्द से काफी परेशान है. विभिन्न तरह की मेडिसिन खाने को मजबूर होना पड़ता है. लेकिन वो लोग शायद इस बात को भूल जाते हैं कि पुरानी जड़ी बूटियों से पहले हमारे बड़े बुजुर्ग इन सभी दर्दों का चुटकियों में सफाया कर देते थे. उस पद्धति का आज भी आयुर्वेद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी उपलब्ध हैं. इन्हीं थेरेपी में से एक है ‘ग्रीवा बस्ती’.
सर्वाइकल से कैसे छुटकारा पाएं
ये थेरेपी जोड़ों में दर्द खासतौर से गर्दन में होने वाले दर्द की परेशानी को ठीक करने में प्रभावी होती है. गर्दन में दर्द के उपचार के लिए विभिन्न तरह की दवाइयां, थेरेपी, सर्जरी का विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इस समस्या को दूर करने के लिए ‘ग्रीवा बस्ती’ को सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय माना जाता है. ‘ग्रीवा बस्ती’ थेरेपी में विषगर्भ, बला व नारायण जैसी औषधियों से युक्त तेलों का इस्तेमाल किया जाता है, जो गर्दन के जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत दिलाने में असरदार होता है.
डॉक्टर ने बताए फायदे
आयास आयुर्वेदिक चिकित्सालय के डॉक्टर हर्ष ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि ‘ग्रीवा बस्ती’ आयुर्वेद में वर्णित पंचकर्म चिकित्सा का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है. ‘ग्रीवा बस्ती’ गर्दन पर आटे की दीवार तैयार करके पेशेंट की कंडीशन के अनुरूप ही अलग-अलग प्रकार के जड़ीबूटियों के तेल का प्रयोग किया जाता है. इस थेरेपी से उन मरीजों को आराम मिलता है जो गर्दन के दर्द से परेशान है, जिनको चक्कर आते हैं, सर्वाइकल की प्रॉब्लम होती है, बाजू में झनझनाहट सुन्नपन रहना, इधर-उधर देखने और गर्दन को घुमाने में दिक्कत आ रही है.
इसे भी पढ़ें – 45 दिनों में लाखों कमा रहा शख्स…करता है कम मेहनत वाला ये काम, एक साथ होते हैं 2 फायदे
सस्ते में थेरेपी कहां करवाएं
सहारनपुर में आयास आयुर्वेदिक चिकित्सालय में आपको यह थेरेपी मात्र ₹600 में मिल जाएगी, जबकि इसकी नेशनल और इंटरनेशनल वैल्यू ₹2000 से लेकर ₹5000 तक है. इस थेरेपी को केरल और साउथ के लोग ज्यादा कराना पसंद करते हैं. भारत की यह मूल चिकित्सा पद्धति है जो कि कई हजार साल से चलती आ रही है. लेकिन भारत के लोग अब इसको भूलते जा रहे हैं. जबकि विदेशों में लोग इस पद्धति का काफी अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. डॉ हर्ष बताते हैं कि अब युवाओं और बुजुर्ग दोनों को गर्दन की समस्या रहने लगी है. खासकर इस पद्धति को 40 से 90 साल के बुजुर्ग कराया करते थे. लेकिन आज के समय मे पढ़ाई करने वाले छात्रों के भी गर्दन में दर्द की समस्या रहने लगी है. इस थेरेपी से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है.
Tags: Health, Local18
FIRST PUBLISHED : November 21, 2024, 16:01 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.