विशाल भटनागर/ मेरठ: किसान आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए आगे बढ़ सके इसको लेकर सरकार की तरफ से विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. कृषि वैज्ञानिकों द्वारा भी नए-नए तरीके तकनीक व बीज को तैयार किए जा रहे हैं. जिससे कि कम लागत में किसान अधिक कमाई कर सकें. इसी कड़ी में मेरठ मोदीपुरम स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र द्वारा भी अब रिसर्च के बाद तीन नए प्रकार के आलू के बीज तैयार किए गए हैं. जिससे लोगों की सेहत भी सुधरेगी, साथ ही किसानों को भी काफी फायदा होगा. ऐसे में लोकल-18 कि टीम द्वारा केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के पादप प्रजनन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश कुमार लूथरा से खास बातचीत की गई.
सेहत के लिए खजाना है यह आलू
प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश कुमार लूथरा ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि आलू सब्जियों का राजा माना जाता है. इसलिए हर कोई आलू का उपयोग करता है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आलू की तीन प्रकार की नई वैरायटी तैयारी की गई है. जो लोगों की सेहत के लिए भी लभदायक है. इसमे कुफरी मानिक, कुफरी नीलकंठ, और कुफरी जमुनिया शामिल है. यह तीनों बहुत खास वैरायटी है. जो जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि इनके माध्यम से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. साथ ही यह आम लोगों की सेहत को भी सुधारते हुए दिखाई देंगी.
इसलिए खास है यह वैरायटी
डॉ एसके लूथरा के अनुसार अगर कुफरी नीलकंठ की वैरायटी की खासियत की बात की जाए तो इसके अंदर एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके साथ ही एंथोसायिनन कि मात्रा भी देखने को मिलती है. क्योंकि सामान्य आलू के मुकाबले तीन गुना एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. इसलिए यह लोगों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. वहीं किसानों की दृष्टि से देखा जाए तो यह उत्पादन और भंडारण में भी काफी बेहतर है.
कुफरी जमुनिया के यह हैं फायदे
इसी तरह उन्होंने बताया कि अगर कुफरी जामुनिया आलू की वैरायटी की खास बात की जाए. कुफरी जामुनिया बैंगनी गूदे वाली एंटी-ऑक्सीडेंट और एंथोसायनिन से भरपूर आलू की किस्म है. इसके 100 ग्राम गूदे में हाई एंटी-ऑक्सीडेंट यानी विटामिन सी (52 मिलीग्राम), एंथोसायनिन (32 मिलीग्राम), कैरोटीनॉयड (163 माइक्रोग्राम) होते हैं. इस वजह से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. उन्होंने बताया कि है 90 से 100 दिन के बीच में तैयार होने वाली फसल है. प्रति हेक्टेयर 35 टन तक किसानों को फसल उपलब्ध हो सकती है.
आयरन खनिज से है भरपूर
इसी तरह से उन्होंने बताया कि कुफरी मानिक आलू की वैरायटी भी काफी बेहतर होता है. इसमें भी आयरन व खनिज की मात्रा भरपूर पाई जाती है, जो की सेहत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि सीमित मात्रा में इस आलू का उपयोग करने से आम लोगो को काफी फायदा होगा. साथ ही भंडारण एवं उत्पादन की अगर बात की जाए तो किसानों के लिए यह वैरायटी काफी बेहतर है. क्योंकि इसमें बीमारी लगने की संभावना कम रहती है. वहीं लागत की अगर बात की जाए तो सामान्य तौर पर जो आलू की फसल किसान उग रहे हैं. इस तरह से इसकी लागत रहेगी, कोई अधिक खर्च नहीं होगा.
76 से अधिक वैरायटी हो चुकी है इजाद
बताते चलें डॉक्टर एसके लूथरा के अनुसार केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र की स्थापना से लेकर अब तक वैज्ञानिकों द्वारा 76 से अधिक वैरायटी को इजाद किया है. जिनका उपयोग देश भर में किसान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी किसान इन आलू की वैरायटी का उपयोग करना चाहते हैं. वह सभी संबंधित जो केंद्र है, वहां अपना विवरण उपलब्ध करा सकते हैं. साथ ही आलू की फसल की बुवाई करने से पहले मिट्टी की जांच सहित अन्य सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर ले. जिससे कि सितंबर अक्टूबर माह में बुवाई करें तो काम लागत अच्छी फसल हासिल कर सकें.